✍ बाबा साहब अम्बेडकर और सतनामी समाज ✍
बाबा साहब अंबेडकर ने अपने प्रत्रिकाओं में छत्तीसगढ़ के ( खासकर सतनामी समाज के) समाचारों को प्रमुखता से स्थान दिये ।
➡ बाबा साहब अंबेडकर पत्र पत्रिकाओं ( Press & Publication ) के महत्व को अच्छी तरह समझते थे ।
➡ मुक नायक पत्रिका , सन् 1920 से शुरूआत किये ।
➡ पूरे देश में बहुजन समाज की दशा व दिशा को छापने का प्रयास किये ।
➡ 3 अप्रैल 1927 को " बहिष्कृत भारत " उनकी द्वितीय पत्रिका :
अंक 1 , पेज नं. 3 , कालम 6 में - छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज के बारे में जानकारी दी गई है :
➖ स्वाभिमानी आंदोलन के तहत " जनेऊ धारण करने " की मुहिम चली ।
➖ तत्कालीन ब्राह्मणवादियों / सामंतवादियों को सहन नहीं हुआ ।
➖सतनामियों के ऊपर अन्याय अत्याचार का कहर ढाया गया ।
➖बाबा साहब ने त्वरित प्रतिक्रिया भी जाहिर किये हैं ।
➖ निश्चित रूप से बाबा साहब के कुछ खास लेफ्टिनेंट ( राजनांदगांव जिले में मि. केजू राम खापर्डे जी का नाम प्रमुखता से आता है ) छत्तीसगढ़ में भी मौजूद थे ।
बाबा साहब ने मंत्री दादा नकुल ढीढ़ी जी को गुरू घासीदास जी की जयंती मनाने के लिये प्रेरित किये
➡ सन् 1930 में बाबा साहब गोल मेंज कान्फ्रेंस में लंदन गये थे ।
➡ लंदन की लायब्रेरी में , R V Russel द्बारा 1916 में लिखीत पुस्तक
" Caste & Tribes of Central Provinces "
में
" The Satnami Sect "
बाबा साहब को पढ़ने को मिला ।
➡ बाबा साहब इस बात को छत्तीसगढ़ के किसी विशेष सक्रिय कार्यकर्ता को बताना चाहते थे ।
➡ सन् 1930 में छत्तीसगढ़ में जंगल बचाओ आंदोलन चला था ।
इस आंदोलन के नेतृत्व कर्ता नकुल देव ढीढ़ी जी ( जिनकी उम्र मात्र 16 साल था ) थे ।
➡ बाबा साहब ने अपने खास कार्यकर्ता , केजू राम खापर्डे ( राजनांदगांव वाले ) के माध्यम से नकुल जी तक पहुंचाये :
➖ गुरू घासीदास जी के विचार धारा को जयंती के माध्यम से जिंदा करने का सलाह दिये ।
➡ नकुल जी बाबा साहब से प्रेरणा ले कर , 18 दिसंबर 1938 में जयंती की शुरुआत अपने ग्राम " भोरिंग " से किये ।
बाबा साहब ने चौथे पीढ़ी के गु्रू मुक्तावन दास जी को ,आजीवन सजा से मुक्ति दिलाये ।
➡ सन् 1937 में गुरू मुक्तावन दास जी को 302 के तहत मर्डर केस में आजीवन कैद की सजा हुईं थी और रायपुर जेल के खोली नं 7 में रखा गया था ।
➡ समाज के लोग मिलने व भजन कीर्तन के लिये जेल पहुंच जाते थे
➡ रायपुर से नागपुर और नागपुर से अमरावती जेल शिफ्ट किया गया ।
➡ अमरावती जेल में भी समाज के लोग भीड़ लगाया करते थे ।
➡ अमरावती जेल के कैदियों ने गुरू मुक्तावन दास जी से , लोगों के बड़ी तादाद में मिलने जुलने का कारण जानना चाहे ।
➡ मुक्तावन दास जी ने बताये -
" षड्यंत्र पूर्वक 302 के केस में फंसाया गया है । मैंने कोई मर्डर नहीं किया है ।"
➡ कैदियों ने ही अच्छे वकील , बाबा साहब को अपना केस देने का सलाह दिये ।
➡ 12 दिस 1945 को केस की फाइल बाबा साहब को सौंपा गया था ।
➡ बाबा साहब ने पीटिशन दायर कर , गु्रू मुक्तावन दास जी को आजीवन सजा से मुक्त कर , नयी जीवन प्रदान किये थे ।
➡ गुरु मुक्तावन दास जी बाबा साहब से मिले , आभार प्रदर्शन किये व साथ चलने का संकल्प लिये ।
➡ 24 अक्टूबर 1947 को भंडार पुरी के गु्रू दर्शन कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वयं गु्रू मुक्तावन दास जी किये । पूरे देश से " Schedule ed Caste Federation " के तमाम बड़े नेता भी उपस्थित रहे ।
➡ सन् 1951 के आम चुनाव में गु्रू अगमदास जी के खिलाफ चुनाव लड़े ।
➡ गुरू अगमदास जी के मृत्यु के बाद सन् 1952 के उप चुनाव भी " मिनी माता जी " के खिलाफ लड़े ।
➡ सन् 1952 में , लड़के के चाहत में " ललिता माता जी " ( जो अभी भंडारपुरी में रहती हैं )से चौथी शादी किये ।
➡ ।
➖दो लड़कियां व तीन लड़के पैदा हुये ।
➖ गुरू बालदास जी दूसरे नं.( मंझले नं. के संतान ) के सुपुत्र हैं ।
➖ बाबा साहब के एहसान को भुलाया नहीं जा सकता ।
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