सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

जरा सोचें

इस देश राज्य मे विकास कैसे होता है जरा समझें।
समिक्षा करने वालो की सूची।
मान. मुख्यमंत्री जी
मान. विभागीय मंत्री जी।
मान.एसीएस महोदय।
मान.सांसद महोदय।
मान.विधायक महोदय।
मान.कलेक्टर महोदय।
मान.मुख्य कार्यपालन अधिकारी        महोदय
मान. अति. मुख्य कार्यपालन अधिकारी  महोदय
मान.एसडीएम महोदय।
मान.तहसीलदार महोदय।
मान.जिला अध्यक्ष महोदय।
मान.जनपद अध्यक्ष महोदय।
मान.अध्यक्ष सामान्य प्रशासन।
मान.अध्यक्ष शिक्षा समिती।
मान.अध्यक्ष निर्माण समिती।        पूरा सप्ताह पूरे माह मिटिंग ओर समिक्षाऐं होती है ।काम न तो कुछ किया जाता है न करने दिया जाता है।जो कुछ होता है शिकायतों की भेट चढ जाता है।
योजनाऐं :-अनेक।
प्रपत्र:-अनेक।
जानकरी बनाने वाला :-वही एक कर्मचारी वही अधिकारी।
तनाव:-अनेक।
न परिवार न इच्छाये।
काम :-दिन रात कोई सीमा नही।
केवल :- प्रपत्र ,जानकारी, समिक्षा।
खाओ:-जानकारी
पहनो:-जानकारी
सोओ:-जानकारी
ओर इन सब का प्रतिफल .................विकास......."0"....जीरो
*काम करने वाले 1% भी नही, समीक्षा करने वाले 99%*
क्योकी पूरा माह केवल जानकरी ओर मिटींग ओर समिक्षा मे बीत गया किसी को कुछ करने ही नही दिया गया।
शिकायतें:-
सीएम हेल्प लाईन।
कलेक्टर फास्ट्रेक।
टी एल शिकायत।
जनसुनवाई।
कर्मचारीयों की संख्या सीमित, वर्षो से पद रिक्त, संविदा नियुक्ति,वेतन कमजोर,समय अनिश्चित,शनिवार आॅफिस लगे तो रविवार भी आॅफिस ,अभि ये करो अभी वो करो बस करते रहो  मेनेजमेंट असंतुलित।
निष्कर्ष:-कि जिस देश व राज्य मे केवल ओर केवल समिक्षा करने वालों की संख्या काम करने वालों से ज्यादा हो जाये वहा विकास  एक "सपने" के समान है।
                    ��जय हिंद��
                  ��वंदे मातरम��

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