सोमवार, 8 मई 2017

तीसरी बकरी

*कहाँ गयी तीसरी बकरी?*

5th स्टैण्डर्ड स्टूडेंट....   साहिल और मोहित  बहुत शरारती बच्चे थे। एक दिन  मोहित ने साहिल से कहा, “ दोस्त, मेरे दिमाग में एक आईडिया है?”
“वो देखो, सामने तीन बकरियां चर रही हैं।”

साहिल- “ तो! इनसे हमे क्या लेना-देना है?”

मोहित-” हम आज घर जाने से पहले इन बकरियों को पकड़ कर स्कूल में छोड़ देंगे, कल सभी इन्हें खोजने में अपना समय बर्वाद करेगे और हमें पढाई नहीं करनी पड़ेगी…”

साहिल- “पर  बकरियां खोजना कोई कठिन काम थोड़े ही है, कुछ ही समय में ये मिल जायेंगी और फिर सबकुछ नार्मल हो जाएगा….”

मोहित- “हाहाहा… वे बकरियां आसानी से नहीं ढूंढ पायेंगे, बस  देखते जाओ मैं क्या करता हूँ!”

दोनों दोस्त छुट्टी के बाद तीनो बकरियों को पकड़ कर क्लास के अन्दर ले आये।

अन्दर लाकर दोनों दोस्तों ने बकरियों की पीठ पर काले रंग का गोला बना दिया। इसके बाद मोहित बोला, “अब मैं इन बकरियों पे नंबर डाल देता हूँ।, और उसने सफेद रंग से नंबर लिखने शुरू किये-

पहली बकरी पे नंबर 1
दूसरी पे नंबर 2
और तीसरी पे नंबर 4

“ये क्या? तुमने तीसरी बकरी पे नंबर 4 क्यों डाल दिया?”, साहिल ने आश्चर्य से पूछा।

मोहित हंसते हुए बोला, “ दोस्त यही तो मेरा आईडिया है, अब कल देखना सभी तीन नंबर की बकरी ढूँढने में पूरा दिन निकाल देंगे…और वो कभी मिलेगी ही नहीं…”

अगले दिन  स्कूल के अन्दर बकरियों के होने का शोर मच गया।

कोई चिल्ला रहा था, “ चार बकरियां हैं, एक, दो और चार नंबर की बकरियां तो आसानी से मिल गयीं…बस तीन नंबर वाली को ढूँढना बाकी है।”

स्कूल का सारा स्टाफ तीन नंबर की बकरी ढूढने में लगा गया…एक-एक क्लास में टीचर गए अच्छे से तालाशी ली।
कुछ बच्चे स्कूल की छतों पर भी बकरी ढूंढते देखे गए… कई सीनियर बच्चों को भी इस काम में लगा दिया गया।

तीसरी बकरी ढूँढने का बहुत प्रयास किया गया….पर बकरी तब तो मिलती जब वो होती…बकरी तो थी ही नहीं!

आज सभी परेशान थे साहिल और मोहित इतने खुश पहले कभी नहीं हुए थे। आज उन्होंने अपनी चालाकी से एक बकरी अदृश्य कर दी थी।

दोस्तों, इस कहानी को पढ़कर चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आना स्वाभाविक है।
पर इस मुस्कान के साथ-साथ हमें इसमें छिपे सन्देश को भी ज़रूर समझना चाहिए।

तीसरी बकरी, दरअसल वो चीजें हैं जिन्हें खोजने के लिए हम बेचैन हैं पर वो हमें कभी मिलती ही नहीं….क्योंकि वे reality में होती ही नहीं!

हम ऐसी लाइफ चाहते हैं जो perfect हो, जिसमे कोई problem ही ना हो…. it does not exist!

हम ऐसा life-partner चाहते हैं जो हमें पूरी तरह समझे जिसके साथ कभी हमारी अनबन ना हो…..it does not exist!

हम ऐसी job या बिजनेस चाहते हैं, जिसमे हमेशा सबकुछ एकदम smoothly चलता रहे…it does not exist!

क्या ज़रूरी है कि हर वक़्त किसी चीज के लिए परेशान रहा जाए?

ये भी तो हो सकता है कि हमारी लाइफ में जो कुछ भी है वही हमारे life puzzle को solve करने के लिए पर्याप्त हो….

ये भी तो हो सकता है कि जिस तीसरी चीज की हम तलाश कर रहे हैं वो हकीकत में हो ही ना….और हम पहले से ही complete हों!

So, let us stop being insane and start realizing the happiness we are already blessed with!

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