* बेमिसाल प्राइमरी स्कूल *
*बस्ती। सरकारी प्राइमरी स्कूल!*
यह शब्द लोगो के जेहन में आते ही एक बदहाल व्यवस्था की तस्वीर सामने आ जाती है। सरकारी स्कूलों और उनके शिक्षको की बदहाली की चर्चा तो आप ने बहुत सुनी होगी। लेकिन आज हम आप आप को एक ऐसे सरकारी प्राइमरी स्कूल से परिचित कराएंगे जिसे एक शिक्षक के जज़्बे ने स्वर्ग बना दिया। अब तो इसे *"गरीबो के बच्चों का सुपर कान्वेंट"* भी कहा जाने लगा है। जी हाँ, *बस्ती सदर विकास खण्ड के आदर्श प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट* और उसके *नवाचारी प्रधानाध्यापक डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र* की पहल और कार्यो ने इस स्कूल को महज 6 महीनो में ऐसा बना दिया जिसे देख कोई भी तारीफ करे बिना नही रह सकता।
....आलीशान सुसज्जित भवन, फूल पत्तियों और गमलों से सुसज्जित परिसर, कम्प्यूटर और प्रोजेक्टर से सुसज्जित स्मार्ट क्लास सुविधा युक्त कक्षा, साउंड सिस्टम पर प्रार्थना करते बच्चे, हर क्लास में ह्वाइट बोर्ड सीट बेंच, लाइट, पंखो की सुविधा, टाई, बेल्ट और आईडी कार्ड पहने लगभग 200 चहकते बच्चे। जी हाँ यह तस्वीर किसी महंगे निजी स्कूल की नही बल्कि *आदर्श प्राइमरी स्कूल मूड़घाट* की है जहाँ ऐसी सुविधाएं है जो शायद सैकड़ो रुपये महीने फीस देने पर मिले। जी हाँ कुछ ऐसी ही सुविधाएं मूड़घाट स्कूल में बच्चो को निःशुल्क देने का बीड़ा उठाया है स्कूल के *नवाचारी प्रधानाध्यापक डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र* ने। उन्होंने महज 6 माह में ही बिना सरकारी मदद के इस स्कूल को अपने व्यक्तिगत और सामाजिक सहयोग से स्कूल को ऐसा बनाने में सफलता भी पाई है। स्कूल और इसके प्रिंसिपल के प्रयासों का ही परिणाम है कि *जिले के डीएम प्रभु नारायण सिंह, सीडीओ अंजनी कुमार सिंह, एडी बेसिक डॉ0 सत्य प्रकाश त्रिपाठी, पूर्व बीएसए मनिराम सिंह और वर्तमान बीएसए एमपी वर्मा* में स्कूल भ्रमण कर *डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र* के प्रयासों की सराहना की है।
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*डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र* आज जिले ही नही पूरे प्रदेश के शिक्षकों के बीच अपनी पहचान बना चुके है जिन्हें शिक्षक बिरादरी के लोग अपना आदर्श मानने लगे है। *डॉ0 सर्वेष्ट* वर्तमान स्कूल से पहले *पूर्व माध्यमिक विद्यलाय पारस जागीर* को आदर्श विद्यालय विद्यालय के रूप में पहचान दिलाई थी। इसी आधार पर 19 जुलाई 2016 को इनकी तैनाती इस विद्यालय पर तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर इस विद्यालय को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित करने हेतु प्रधानाध्यापक जे रूप में की गयी थी।
जब इन्होंने इस विद्यालय मे ज्वाइन किया तो स्कूल की हालत काफी जर्जर थी। नाम मात्र के 10 से 12 बच्चों की उपस्थिति थी। स्कूल में घास फूस और गंदगी का अंबार और भवन की दीवारें और साजसज्जा काफी दयनीय दशा में थी। ♂ये बताते है कि स्कूल की दशा देखने के बाद लगा कि इतने बिगड़े स्कूल को मॉडल स्कूल बनाना आसान नही। महज दो शिक्षकों केे सहारे जो हाल ही में शिक्षक के रूप में समायोजित हुए थे गुणवत्तापूर्वक पढ़ाई कराना भी आसान नही था। वहाँ के लोगों ने हमे बताया कि इस स्कूल में चाहें जो कर लिया जाय न तो छात्र सख्या बढ़ेगी और न ही व्यवस्था परिवर्तन होगा। इतने नकारात्मक परिस्थितियों के बावजूद हमने अपने मजबूत इरादों के साथ काम करना शुरू किया।
सबसे पहली समस्या थी छात्र संख्या बढ़ाने की। हमने इसके लिए स्कूल के आसपास मूड़्घाट, डमरुआ, कटरा आदि के लगभग 250 घरों प्रवेश के लिए व्यक्तिगत संपर्क किया और लोगो को बताया कि अब उनका स्कूल अच्छा बन जायेगा और सब अपने बच्चो को यही पढ़ायें। लोगो ने हमारी बात पर विश्वास किया और देखते ही देखते 31 अगस्त तक हमारी छात्र संख्या 155 हो गई। जो इस नए सत्र में बढ़कर 211 हो गयी है।
♂अब हमारा लक्ष्य था स्कूल में भैतिक सुविधाओ में बढ़ोत्तरी और शिक्षको की। इसके लिए हमने अपने व्यक्तिगत प्रयास और सामाजिक सहयोग से सभी बच्चों के बैठने हेतु डेस्क वेच और कुर्सियों की व्यवस्था की। _हर बच्चे के लिए निःशुल्क कापियों, स्टेशनरी, टाई, बेल्ट और आईडी कार्ड, हर क्लास में व्हाइट बोर्ड, पानी पीने केे लिए एक एक बोतल, सभी के एमडीएम हेतु प्लेट और गिलास की व्यवस्था की। सभी बच्चो को सरकारी दो ड्रेस के अलावा 1 अन्य ड्रेस भी निःशुल्क उपलब्ध कराया।_
यह सब कार्य करने के बाद स्कूल की बिल्डिंग को अपनी सैलरी से लगभग सवा लाख रुपये खर्च करके वाल पुट्टी और प्लास्टिक पेंट लगवाया। दीवाल लेखन और आंतरिक साजसज्जा के अलावा एक स्मार्ट क्लास विकसित करके उसमें कंप्यूटर और प्रोजेक्टर की व्यवस्था की। स्मार्ट क्लास हेतु फर्नीचर, विद्युतीकरण, सभी कमरों में वायरिंग, पंखों और लाइट की व्यवस्था की। परिसर में बने गढो में मिट्टी डलवाकर फूल, पत्तियों के पौधे, छायादार पौधे लगवाए।कमरों के सामने गमले रखवाए।
सीसीटीवी कैमरों और बायोमेट्रिक लगाने की योजना,
स्कूल की सुरक्षा और बच्चों तथा शिक्षको की नियमित उपस्थिति हेतु 8 सीसीटीवी कैमरे और बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाने की योजना है। इसके अलावा वाटर कूलर और आरओ लगाने की योजना है।
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सर्वाधिक उपस्थिति, स्वच्छता, समय पालन और मेधावी बच्चे होते हैं सम्मानित
स्कूल के हर क्लास में त्रैमासिक रूप से सर्वाधिक उपस्थिति वाले, सर्वाधिक स्वच्छता वाले और सर्वाधिक मेधावी और सर्वाधिक समय पालन करने वाले बच्चो को पुरस्कृत किया जाता है। जिससे दूसरे बच्चो में भी इन गुणों का विकास किया जा सके।
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टाई बेल्ट आईडी कार्ड है इन बच्चों की पहचान
स्कूल के हर बच्चे को प्रधानाध्यापक ने अपनी तरफ से स्कूल का नाम छपे,लेमिनेटेड प्लास्टिक आई कार्ड, बेल्ट और टाई उपलब्ध कराई है। सर्दियों के लिए लिए तो बच्चो को नि:शुल्क एक कलर का स्वटेर भी दिया गया है।
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स्मार्ट क्लास में पढ़ाई का आनंद लेते है बच्चे
इस स्कूल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक स्मार्ट क्लास है जिसमें बड़ी सी स्क्रीन लगी है। इस क्लास में प्रत्येक क्लास के बच्चो को उनके क्लास की विषय वस्तु के अनुसार एक पीरियड में पढ़ने का मौका मिलता है। जहाँ बच्चो को उनके पसंदीदा वीडियो और कार्टून्स आदि के सहारे सीखने जा अवसर भी मिलता है। इसी के साथ बच्चे कंप्यूटर भी सीखते है।
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स्कूल की फेसबुक पेज के सैकड़ों फॉलोवर
स्कूल का खुद का *आदर्श प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट, बस्ती* के नाम *फेसबुक पेज* है। जिस् पर स्कूल की दैनिक गतिविधियाँ, सांस्कृतिक आयोजन और सुविधाए व सूचनाएं प्रसारित की जाती है। पूरे देश से सैकड़ो की संख्या में इसके फॉलोवर है। इसके अलावा स्कूल की खुद की ईमेल psmoorghat@gmail.com भी है। जल्द ही स्कूल की वेबसाइट और मोबाइल एप भी होगा।
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पर्सनालिटी डेवलपमेन्ट के लिए है एक पीरियड
इस स्कूल में कक्षाएँ विषयवार पीरियड के हिसाब से चलती है। यहाँ का असेंबली का भी एक पीरियड होता है। जिसमें प्रतिदिन लाउडस्पीकर पर अलग, अलग प्रार्थना, हिंदी एवं अंग्रेजी में, सदवाक्य, बच्चों द्वारा किसी कविता कहानी का प्रस्तुतिकरण, समाचार वाचन और पीटी और ♂योग का सत्र होता है। अंतिम क्लास तो व्यक्तित्व निर्माण के लिए है जिसमे कक्षाध्यापक बच्चो के व्यक्तित्व निर्माण के विविध आयामों पर कार्य करते हैं।
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नया सत्र से कक्षा 1 अंग्रेजी माध्यम में
*प्रधानाध्यापक डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र* बताते है कि इस स्कूल में नए सत्र से कक्षा 1 को स्वैछिक रूप से अंग्रेजी माध्यम से चला रहे है।आने वाले दिनों में स्कूल के कुछ बच्चे भी फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर सकेंगे।
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होली दीवाली सब मनाते है स्कूल में
इस स्कूल के प्रधानाध्यापक सभी बच्चो के साथ स्कूल में ही होली दीवाली जैसे बड़े त्योहार मिलकर मनाते है। इस दौरान सभी बच्चे त्योहारों के परंपरागत पकवानों, रंगों और पाताखो का आनंद उठाते हैं। हाल ही में स्कूल का वार्षिकोत्सव का आयोजन भी किया गया जिसमें खुद *जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने मुख्य अतिथि* के रूप में पहुँचकर बच्चो एवं शिक्षको का मनोबल बढ़ाया और स्कूल का आधिकारिक पोस्टर का विमोचन किया।
कई सम्मान से नवाजे जा चुके है *डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र*
उस स्कूल के *प्रधानाध्यापक डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र* की पहचान ज़िले ही नही पूरे प्रदेश में एक नवाचारी शिक्सक जे रूप में अपनी पहचान बनाई है।
इससे पहले वे ज़िले के पूर्व माध्यमिक स्कूल को एक आदर्श स्कूल के रूप में स्थापित कर चुके है और उसी आधार पर *तत्कालीन डीएम नरेन्द्र पटेल* ने इनकी तैनाती जुलाई 2016 में वर्तमान मूड़घाट स्कूल को मॉडल स्कूल के रूप में स्थापित करने की जिम्मेदारी दी थी। इनके कार्यो को लेकर ही *2013 में तत्कालीन बीएसए डॉ0 धर्मवीर सिंह ने आदर्श शिक्षक अवार्ड से तथा 2016 में जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह पटेल ने ज़िले के आदर्श शिक्षक के रूप में सम्मानित किया है। इसके अलावा 2016 में इनका चयन नॅशनल आईसीटी अवार्ड की स्क्रीनिंग हेतु हो चुका है। इन्हें रोटरी क्लब द्वारा नेशन बिल्डर अवार्ड 2016 अवार्ड से सम्मानित किया गया। मीना रेडियो कार्यक्रम हेतु तत्कालीन मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी डिम्पल यादव द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा 2016 में इटावा में आयोजित प्रदेश के 30 आदर्श शिक्षको के साथ प्रदेश के आदर्श शिक्षक के रूप में सम्मानित हुए है। इसके अलावा फार्म एंड फ़ूड पत्रिका, राज्यसभा सांसद, राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें समय समय पर इनके कर्यो हेतु सम्मानित किया जा चुका है।*
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_♂"हमने अपने स्कूल को प्रदेश का सबसे बेहतरीन स्कूल बनाने की ठानी है। इसके लिए पिछले लगभग 8 महीनो से हम दिन रात स्कूल के विकास हेतु काम कर रहे है। हमारी रोज की दिनचर्या में स्कूल टाइम के बाद लोगो सेे स्कूल के गरीब बच्चो के लिए कुछ न कुछ मांगने में बीतता है। हमारे इस कार्य मे शहर के कई व्यवसायियों, स्कूल संचालकों और बैंकों ने अपने योगदान दिए है। लेकिन अभी जरूरते बहुत है इसलिए लोगों से निवेदन है कि जो भी गरीब बच्चो की पढ़ाई और बेहतरी के लिए हमारे द्वारा किये जा रहे प्रयासों में अपना सहयोग देना चाहे वो कभी भी स्कूल भ्रमण कर हमारे स्कूल को अपना योगदान दे सकते है। लोग अपने जन्म दिन, सलगिरह जैसे दूसरे खुशियों के पल हमारे स्कूल के बच्चो के साथ बांट सकते हैं। यहाँ के शिक्षक अपने और बच्चो का जन्मदिन तो यही मनाते है।"_
_साभार :_ *डॉ0 सर्वेष्ट मिश्र, प्रधानाध्यापक*
_संकलनकर्ता :_ *टीम मिशन शिक्षण सम्वाद*
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