हिंदी हमारी मातृभाषा है, इसके बावजूद इसको लिखते समय हम कई गल्तियां कर देते हैं. आइये आज कुछ सामान्य गल्तियो के बारे में जानते हैं ताकि हिंदी को हम सही-सही लिख सकें
1.तरल पदार्थ का बहुवचन नहीं होता
ध्यान रखें कि तरल पदार्थ का बहुवचन नहीं होता. पसीना का बहुवचन पसीने नहीं होगा. यहां इसको दो उदाहरण से समझ सकते हैं. ‘गर्मी में ज्यादा पसीने निकलते हैं’, वाक्य गलत है. सही वाक्य होगा, ‘गर्मी में ज्यादा पसीना निकलता है’. इसी तरह ‘मैंने दो ग्लास दूध पिए’ गलत होगा. सही वाक्य ‘मैंने दो ग्लास दूध पिया’ होगा.
2.’केवल’ या ‘ही’ का इस्तेमाल
हिंदी में हम ‘केवल’ और ‘ही’ के इस्तेमाल में अकसर गलतियां कर देते हैं. कुछ लोग एक ही वाक्य में ‘केवल’ और ‘ही’ दोनों लगा देते हैं. ऐसा करना गलत है. एक वाक्य में ‘केवल’ और ‘ही’ में से किसी एक का ही इस्तेमाल करें. अगर हम लिखते हैं कि केवल मैंने ही पर्चा भरा तो गलत है. इसको हम दो तरह से लिख सकते हैं. केवल मैंने पर्चा भरा या मैंने ही पर्चा भरा.
3.अनावश्यक शब्दों का इस्तेमाल
कुछ शब्दों का इस्तेमाल जरूरी नहीं होता है, फिर भी हम उसे लिख देते हैं. जैसे, मैं जनवरी के महीने में मुंबई जाऊंगा. यहां जनवरी कह देना ही काफी होगा, महीने लगाने की जरूरत नहीं है.
4.संधि का नियम
आइये आ जानते हैं हिंदी में संधि का नियम.
अ या आ+अ या आ=आ और इसीलिए स्व+अधीन= स्वाधीन हो जाता है.
अ या आ+इ या ई=ए और इसीलिए महा+ईश महेश हो जाता है। इसी तरह गणेश, सुरेश, महेंद्र, सुरेंद्र आदि.
अ या आ+ए या ऐ=ऐ और इसीलिए मत+ऐक्य मतैक्य हो जाता है.
अ या आ +उ या ऊ=ओ और इसीलिए पर+उपकार परोपकार हो जाता है.
अ या आ +ओ या औ=औ और इसीलिए महा+औषधि महौषधि हो जाता है.
इसी तरह इ या ई के बाद कोई विजातीय (इ, ई के अलावा) स्वर आए तो इ या ई का य् हो जाता है. इसीलिए इति+आदि और अति+अधिक अत्यधिक हो जाता है.
5.कारक चिह्न का असर
हिंदी में जब भी जातिवाचक संज्ञा शब्द के बाद कारक चिह्न आता है, तो आकारांत वाले शब्द एकारांत हो जाते हैं. (पहले व्यक्तिवाचक संज्ञा में भी ऐसा होता था. जैसे वह कलकत्ते का रहनेवाला है।)
जैसे रास्ते पर एक आदमी गिरा पड़ा था न कि रास्ता पर एक आदमी गिरा पड़ा था. रास्ता का रास्ते हो गया, क्योंकि उसके बाद पर कारक चिह्न आया.
गधे ने लात मारी न कि गधा ने लात मारी. गधा का गधे हो गया क्योंकि उसके बाद ने कारक चिह्न आया.
6.करण प्रत्यय
सारे शब्द जिनमें आखिर में इ होता है, उसमें करण लगाते हैं तो ई हो जाता है, जैसे: शुद्धीकरण, सशक्तीकरण, प्रस्तुतीकरण.
7.विशेषण की गल्ती
हिंदी में अ वाले शब्दों को विशेषण बनाने पर आ हो जाता है, इ-ई वालों को ऐ हो जाता है और उ-ऊ वालों का औ हो जाता है.
इसी कारण मर्म से मार्मिक और अध्यात्म से आध्यात्मिक होता है. इतिहास से ऐतिहासिक और उद्योग से औद्योगिक होता है.
8.अनुस्वार का इस्तेमाल
अगर Infosys को इंफोसिस लिखेंगे तो इसका उच्चारण हो जाएगा इम्फोसिस, जो कि गलत है. इसे इन्फोसिस लिखना चाहिए यानी अनुस्वार नहीं लगाना चाहिए. नियम यह है – किसी अनुस्वार का उच्चारण इस बात पर निर्भर होता है, कि उसके अगले अक्षर के ग्रुप का पंचमाक्षर कौनसा है. यदि उच्चारण नियमानुसार हो रहा हो तो उसका इस्तेमाल करें वरना आधे अक्षर का इस्तेमाल करें.
नियम इस प्रकार है-
शब्द है संबंध. इसका उच्चारण सम्बन्ध है. आख़िर इसे सम्बम्ध या सन्बन्ध क्यों नहीं पढ़ा जाता?
हम जानते हैं कि इसमें सं का उच्चारण सम् है और बं का उच्चारण बन् है. यानी एक में म् और एक में न्. लेकिन क्यों?
क्योंकि स के बाद ब है. ब जिस वर्ग में है (पवर्ग) उसका अंतिम अक्षर म है – प, फ, ब, भ, म – इसलिए इसका उच्चारण हो रहा है म्.
ब के बाद ध है. ध जिस वर्ग में है (तवर्ग) उसका अंतिम वर्ण न है – त, थ, द, ध, न – इसलिए यहां अनुस्वार का उच्चारण हो रहा है न्.
इंफोसिस की तरह इंफर्मेशन भी गलत है. इसे इन्फर्मेशन लिखें.
9.हाइफन का इस्तेमाल
जब भी एक शब्द किसी वाक्य में दो या तीन बार लगातार आता है तो हाइफन का उपयोग किया जाता है.
उदाहरण:-
साथ-साथ, दो-दो हाथ. यहां हाइफन का इस्तेमाल यह भी बताता है, कि यह शब्द ग़लती से दो या तीन बार नहीं लिखा गया है.
कई बार मिलते-जुलते या फिर विपरीत शब्दों के साथ-साथ आने पर भी इनका इस्तेमाल होता है.
एक-दो-तीन, जहां दाल-रोटी-चावल आदि.
पति-पत्नी, चोर-पुलिस, आदि.
10.’या’ का लिंग पर असर
जब किसी वाक्य में दो संज्ञा ‘या’ से जुड़े तो उस स्थिति में लिंग का निर्धारण बाद वाली संज्ञा से होगा. जैसे अगर भाई या बहन आएगा लिखते हैं तो यह गलत है, क्योंकि यहां बाद वाली संज्ञा बहन है, जो स्त्रीलिंग है. इसलिए यहां सही वाक्य ‘भाई या बहन आएगी’ होगा.
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