रविवार, 3 दिसंबर 2017

अफवाहों पर ध्यान न दें

साथियों,
प्रशासन के माध्यम से बार-बार यह खबर फैलाई जा रही है कि शीर्ष नेताओं को और अगुवाई करने वाले शिक्षाकर्मियों को जल्द ही सामान्य प्रशासन समिति के अनुमोदन के माध्यम से बर्खास्त कर दिया जाएगा ताकि यह आंदोलन समाप्त हो जाये । लेकिन इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि सीमित समय सीमा में ऐसा करना भी आसान नहीं है । सबसे पहले तो किसी भी नियमित शिक्षाकर्मी को बर्खास्त करने से पहले उसे तीन बार नोटिस देना होता है और उस नोटिस में पावती होनी चाहिए कि शिक्षाकर्मी को यह नोटिस मिली है या फिर उसके किसी परिजन को यह नोटिस मिली है और यदि डाक से भेजा जाता है तो उसमें यह लिखा होना चाहिए की इसे लेने से इनकार किया गया है, अगर बगैर इसके कोई भी कारवाई किया जाता है तो वह न्यायालय में शून्य घोषित हो जाएगा और साथ ही जिला/ जनपद पंचायत को न्यायालय से जो लताड़ मिलेगी वह अलग है . इसलिए ऐसी किसी भी प्रकार की कार्यवाही का होना बहुत ही मुश्किल है साथ ही मीडिया में जो यह खबरें चल रही है कि शीर्ष नेताओं को बर्खास्त करने की तैयारी है यह खबर भी पूर्णतया झूठ है क्योंकि उन्हें अभी 3 नोटिस ही तामिल नहीं हुआ है, सिर्फ एक नोटिस तामील हुआ था जो सामान्य नोटिस था . जो सभी शिक्षाकर्मियों को प्रारंभ में जारी हुआ था इसलिए बिना बर्खास्तगी के डर से प्रांतीय संचालकों के निर्देशानुसार अधिक से अधिक संख्या में शासन-प्रशासन के इस कदम का विरोध करें और ऐसी अफवाहों पर ध्यान ना दे ।

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