*विनम्र निवेदन*
आदरणीय पालको,,प्रिय विद्यार्थियों,
आप सब के मन मे ये बात होगी कि क्यो हम शिक्षाकर्मी विद्यार्थियों को पढ़ना छोड़कर हड़ताल कर रहे है??
किसी किसी के मन मे हम लोगो के प्रति क्रोध के भाव भी आ रहे होंगे कि हमे विद्यार्थियों के भविष्य की कोई चिंता नही है,
इस प्रकार के भ्रामक प्रचार भी बड़े जोरशोर से कुछ लोगो द्वारा किया जा रहा है।
*उनका उद्देश्य सही तथ्य को छुपाकर भ्रामक प्रचार कर पालक विद्यार्थी और शिक्षक के पवित्र व अटूट संबंध को तोड़ना ही है।*
मैं इसी संदर्भ में अपने विचार,मन की पीड़ा को आपके समक्ष रखना चाहता हु इस विश्वास के साथ कि आप अपने गुरुजनों को समझ पाएंगे।
आप सभी भलीभांति जानते है,अनुभव भी करते है कि अपने कर्तव्यपालन में हमारी पूरी निष्ठा रहती है,कही कोई कमी नही करते अपितु विद्यार्थियों के हित के लिए अपना तन मन धन लगा कर सम्पूर्ण प्रयास करते है।उसके बाद भी हमे शासन एक ही विद्यालय में शिक्षक न् कहकर शिक्षाकर्मी,पंचायत कर्मी कहती है,जबकि उतना ही कार्य और कही कही पर हमसे कम भी समर्पण दिखाने वाले को शिक्षक कहती है।
हमे *शासन कहती है कि हम उनके कर्मचारी ही नही है ,हम तो पंचायत के कर्मचारी है* परंतु चुनाव,जनगणना जैसे राष्ट्रीय स्तर के भी उत्तरदायित्व देने के अवसर पर सबसे पहले हमें बुलाती है तब नही कहती के हम उनके शासकीय कर्मचारी नही है।
हम अपने कार्यालय में वो सभी उत्तरदायित्व का निर्वहन करते है जो एक नियमित शिक्षक करते है,चाहे अध्यापन कार्य हो, खेलकूद हो,सांस्कृतिक कार्यक्रम हो,नवाचार हो, प्रत्येक क्षेत्र में हम कभी प्रभारी प्रधान पाठक बनकर तो कभी सामान्य शिक्षक के रूप में बराबर का कार्य करते है,परंतु वेतन से लेकर सारी सुविधाओ को देने के समय *हमें पंचायतकर्मी कहकर भेदभाव किया जाता है।*
हमने जब भी शासन से इस बारे में विचार कर हमारी समस्याओं का समाधान करने को कहा सदैव हमे छला गया।
*अभी तक 22 सालो में 22 कमेटी बनाकर भी हमे स्थाई समाधान नही दिया गया*,और अब *पुनः कहती है कि फिर से 1 कमेटी बनाएंगे और 3 महीने बाद बताएंगे कि उसमे क्या हुआ।*
कैसी विडंबना है कि योग्यता होते हुए भी हम प्रभारी प्रधानपाठक और प्राचार्य बनकर विद्यालय को सम्हाल सकते है परंतु *प्र. पाठक और प्राचार्य नही बन सकते* जबकि अनेक शिक्षाकर्मी तो अब उसी संस्था से रिटायर भी होने वाले है।।कारण क्योकि हम पंचायतकर्मी है।
*हमे 3-3 महीनों तक वेतन नही दिया जाता*,,RTI से आप पता कर लीजिए दीपावली होली जैसे त्योहार के समय हमें वेतन नही दिया जाता *ये कहा जाता है के आप शिक्षाकर्मी है आपके वेतन के लिए बजट नही है* जबकि नियमित शिक्षकों को प्रत्येक माह के 5 तारीख तक अनिवार्यतः वेतन मिलता है।
हमारे रिटायर होने के बाद दूसरे शिक्षकों के समान हमे पेंसन की पात्रता नही होगी।
यदि सेवाकाल मे हमारी मृत्यु हो जाये तो हमारे परिवार वालो को *दूसरे शिक्षकों के समान सरलता से अनुकम्पा नही मिलेगी।इतनी शर्ते रखी गई है कि मिलना संभव नही है।*
हमे उसी कार्यालय में कार्य करने वाले *अन्य शिक्षकों के समान पदोन्नति/क्रमोन्नति नही मिलेगी।*
ये सब इसलिए क्योकि हम शिक्षाकर्मी है और हमारे ही स्टाफ के एक वर्ग को ये सारी सुविधाये मिलती है क्योंकि वो शिक्षक है ,,शिक्षाकर्मी नही।
*हमारी लड़ाई केवल वेतन के लिए नही है अपितु अपने गुरु होने के आत्मसम्मान के लिए है।*
हमारी मांग है कि हमे भी समान कार्य के आधार पर अन्य शिक्षक के समान सुविधाये अर्थात् *हमारा शासकीयकरण /संविलियन कर हमें बराबर का सम्मान दिया जाए* जो कि हमारा अधिकार है।
हमे अपने विद्यार्थियों के भविष्य की चिंता है परंतु इस परिस्थिति के लिए हमे विवश किया गया।हमने इन सब बातो को लगभग *20 दिन पूर्व 1 दिवसीय सांकेतिक धरना देकर शासन को उचित निर्णय लेने के लिए समय दिए थे।परंतु उन्होंने कोई निर्णय नही लिया।*
*संभवतः अब आप हमारी पीड़ा को समझकर हमे अपना सहानुभूति, अमूल्य समर्थन प्रदान करेंगे।*
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