शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

बाल कविता :चंदा के गांव में

चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
बाया पैर बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
दाया पैर बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
बाया हाथ बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
दाया हाथ बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
दोनो हाथ कमर पे लाओ धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे

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