रसोईघर अगर दक्षिण पूर्व में, बैडरूम दक्षिण पश्चिम में, बच्चों का बैडरूम उत्तर पश्चिम में और शौचालय आदि दक्षिण में नहीं है तो इससे घर में तनाव उत्पन्न हो सकता है.
· ध्यान दें कि घर का दरवाजा और खिड़कियाँ पूर्व या उत्तर में हो, आप अपने पूर्वजों की फ़ोटो पूजाघर में न रखें. उस फोटो को दक्षिण दिशा की दीवार पर ही लगाएं.
· जो भी प्लाँट या मकान तिकोने आकार का होता है, मतलब जिसके चार कोने न होकर सिर्फ तीन ही कोने होते है. ऐसे स्थान पर घर बनाने से आपको आपके जीवन में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
पूजा घर ( Prayer Room ) :-
1. पूजा घर के लिए उत्तर पूर्व दिशा सबसे अच्छी मानी गई है. घर में पूजा का स्थान उत्तर पूर्व में बनाने से सुख शांति की वृद्धि होती है.
2. पूजा घर के ऊपर या नीचे बाथरूम नहीं होना चाहिए और यदि संभव हो तो बाथरूम पूजा घर से सटा हुआ भी नहीं होना चाहिए.
3. पूजाघर की दीवारों का रंग सफेद या हल्का पीला हो तो बहुत ही शुभ माना जाता है. पूजाघर में संभव हो तो उत्तर या पूर्व की तरफ एक खिड़की जरूर लगवाएँ और अगर दरवाज़ा भी इसी दिशा में हो तो बहुत अच्छा है.
Remember These during Construction of Home

रसोई घर ( Kitchen ) :-
1. घर में रसोई के लिए आग्नेय कोण की दिशा बहुत ही शुभ मानी जाती है. अगर किसी कारणवश इस दिशा में रसोई बनाना संभव नहीं है, तो आप वायव्य दिशा में रसोई घर बना सकते है.
2. ध्यान रखें कि खाना बनाते समय गृहणी का मुहँ पूर्व दिशा की तरफ ही हो और बाहर के दरवाजे से चूल्हा बिल्कुल भी दिखाई न दें.
3. रसोईघर के बराबर में शौचालय नहीं होना चाहिए और जहाँ तक संभव हो रसोई घर में पूजा का स्थान बिल्कुल भी नहीं बनाएँ.
मेहमान कक्ष ( Guest Room ) :-
1.घर बनाते समय इस बात पर जरूर ध्यान दें कि मेहमानों का अलग से कमरा जरूर बनवाएँ और मेहमानों का कमरा अन्य सभी कमरों के साथ ही हो, ताकि मेहमान खुद को आपसे अलग महसूस न करें.
2.कमरें में ऐसी अलमारी की व्यवस्था होनी चाहिए. जिसमें मेहमान अपना सामान रख सकें और उस अलमारी का आप ज्यादा इस्तेमाल न करते हो.
गृह निर्माण में महत्वपूर्ण तथ्य

3.मेहमानों वाले कमरे में उनके मनोरंजन के लिए म्यूजिक सिस्टम, टी.वी. और कम्प्यूटर आदि की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए और ध्यान दें कि इस कमरे में कोई भी लोहे की भारी वस्तु न रखें.
शौचालय ( Toilet ) :-
1. आजकल घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना बहुत ही आम बात है लेकिन ऐसा नही होना चाहियें. साथ ही बाथरूम दक्षिण दिशा में ही हो तो बहुत अच्छा है.
2. ध्यान दें कि बाथरूम अच्छा होने के साथ साथ सकारात्मक उर्जा प्रदान करने वाला भी हो, ताकि पूरा दिन ख़ुशी से बीते और मन भी अच्छा रहें.
3. वैसे तो हम घर के एक एक कोने को बहुत ही सुंदर करके रखते है लेकिन जब बाथरूम की बात आती है, तो कोई न कोई कमी रह ही जाती है. जबकि बाथरूम को अगर साफ़ नहीं रखा जाएगा तो बहुत सी बीमारियों के उत्पन्न होने का खतरा रहता है.
वैसे तो ये बात बिल्कुल सही है कि एक बार जो सामान इस्तेमाल हो चुका हो उसको दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उसी तरह से नए घर में ईंट, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी नई ही उपयोग करनी चाहिए. एक मकान में इस्तेमाल की गई वस्तु किसी और घर में नहीं लगानी चाहिए.

घर बनाते समय हमेशा ध्यान दें कि ध्रुव तारे को याद करते हुए ही भवन का निर्माण करें और ध्यान रखें कि शाम और रात के समय में घर की नींव बिल्कुल भी न करें.
घर का मुख्य द्वार सिर्फ एक ही होना चाहिए. जो उत्तर व पूर्व में ही अच्छा होता है. मुख्य गेट की चौखट चार लकड़ियों से मिलकर बनी होनी चाहिए और दरवाजें में दो पल्ले जरुर होने चाहिए.
घर के निर्माण के समय ध्यान रखने वाली अन्य बातों और घर निर्माण में वास्तुशास्त्र के महत्व को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.

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