साथियो,
*देश की रक्षा और सुरक्षा का दायित्व बॉर्डर पर तैनात सैनिकों का होता है*
और वे अपना सब कुछ त्याग कर अपने कर्तव्य और दायित्वों का निर्वहन भली-भांति करते है जिस पर हम सभी को नाज है।
*ठीक उसी तरह देश के अंदर समाज की रक्षा और लोगो को सही दिशा दिखाना और लोगो की दशा में सुधार करने का दायित्व शिक्षकों का होता है।*
किंतु..
आज शिक्षक में इतनी क्षमता नही रह गई है कि वे..
*अपने हित के लिए सही दिशा तय कर अपने स्वयं के दशा में सुधार ला सके।*
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साथियो,
निकट भविष्य में कई संघो के द्वारा विभिन्न प्रकार के आंदोलन का आह्वान किया गया है।
किंतु..
कोई ये बताने को तैयार नही है कि वे इस प्रस्तावित आंदोलन से आपकी समस्या का समाधान..
*कब तक??*
*और कैसे?? कर सकते है।*
क्योंकि..
वे सिर्फ..
*अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे है।*
*किसी के हक की नही*
साथियो,
ये यदि किसी के हक के लिए लड़ाई लड़ते होते तो आज ये..
*एक होते.....अनेक नही*
साथियों,
ये अनेकता में बल दिखाने और लुभाने के प्रयास में लगे है जब कि यह सर्वविदित है कि..
*बल एकता में ही होती है*
अनेकता में नही
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समझ बदलो_सोच बदलेगा
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