शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

बाल कविता :चंदा के गांव में

चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
बाया पैर बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
दाया पैर बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
बाया हाथ बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
दाया हाथ बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे
दोनो हाथ कमर पे लाओ धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद भी घूम जाओ
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009

*RTE ACT 2009*
*शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009*
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*धारा 1*
इसके संक्षिप्त नाम, इसके विस्तार एवं लागु होने की तिथि के बारे में बताया गया है।

*धारा 2*
इस एक्ट के अंतर्गत प्रयुक्त शब्दावली का अर्थ स्पष्ट किया गया है।

*धारा 3*
1. 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को नजदीक के स्कूल में प्रारम्भिक शिक्षा कक्षा 1 से 8 तक मिलेगी।
2. स्कूल में स्कूल आने जाने या अन्य हेतु बच्चों को कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा।

*धारा 4*
उम्र के आधार पर प्रवेश, विशेष प्रशिक्षण या सहायता जिससे तय समय सीमा में कक्षा के अन्य बालकों के बराबर लाया जा सके, 14 वर्ष की आयु के बाद भी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने का अधिकार

*धारा 5*
1. स्थानांतरण का अधिकार
2. राज्य के भीतर या बाहर अन्य विद्यालय में प्रवेश का अधिकार
3. मांगे जाने पर तुरन्त स्थानांतरण प्रमाण पत्र, स्थानांतरण प्रमाण पत्र देने में न तो विलम्ब न ही इसके अभाव में प्रवेश से इंकार किया जायेगा। यदि इंकार करते हैं या स्थानांतरण प्रमाण पत्र देने में विलम्ब करते हैं तो सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही

*धारा 6*
कानून लागु होने के 6 माह में स्कूल की व्यवस्था जहां आस पास कोई स्कूल न हो।

*धारा 7*
1. केंद्र व राज्य सरकार धन की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे
2. केंद्र इस कानून को लागु करने के लिए आवश्यक खर्च का आकलन करेगा
3. केंद्र राज्य की सलाह पर सहमति के आधार पर अनुदान देगा
4. केंद्र राज्य को अतिरिक्त संसाधन प्रदान करनेकी आवश्यकता का परीक्षण के लिए वित्त आयोग को निर्देश
5. केंद्र राज्य को निधियां प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होगा
6. केंद्र सरकार के दायित्व: पाठ्यचर्या की रुपरेखा तैयार करना, प्रशिक्षण के लिए मानक विकसित करना, नवाचार अनुसन्धान प्लानिंग क्षमता संवर्धन के लिए तकनीकी सहायता व संसाधन उपलब्ध करवाना।

*धारा 8*
राज्य सरकार के दायित्व: 6 से 15 वर्ष के बालकों को निशुल्क व अनिवार्य प्रारम्भिक शिक्षा उपलब्ध कराये, 6 से 14 वर्ष के बालक अनिवार्य रूप से स्कूल में प्रवेश, उपस्थिति, प्रा. शिक्षा पूरी करना सुनिश्चित करें, बच्चों के आस पास स्कूल हो, कमजोर व पिछड़े वर्ग के बालकों के प्रति भेदभाव न हो, आधारभूत सुविधाएं जैसे भवन, शिक्षक,शिक्षण अधिगम सामग्री उपलब्ध करवाना, आयु अनुरूप प्रवेश लेने पर अन्य बालकों के समान स्तर पर लेन के लिए विशेष प्रशिक्षण या प्रक्रिया सुविधा तय करना, प्रत्येक बालक का स्कूल में प्रवेश, उपस्थिति और प्रा. शिक्षा पूर्णता सुनिश्चित करेगी व मोनिटरिंग करेगी, तय मानकानुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पाठ्यचर्या व पाठ्यक्रम तय करना, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण सुविधा

*धारा 9*
स्थानीय अधिकारी के दायित्व

*धारा 10*
प्रत्येक बच्चे के माता पिता, अभिभावक संरक्षक की जिम्मेदारी होगी की उनके बच्चे स्कूल में प्रवेश लें और नियमित स्कूल जाएँ

*धारा 11*
3 से 6 आयु वर्ग के बालकों को प्रारम्भिक शिक्षा के लिए तैयार करना, बालकों की देखरेख के लिये आवश्यक व्यवस्था

*धारा12*
सरकार द्वारा स्थापित व संचालित स्कूल प्रवेश लेने वाले बालक को प्रा. शिक्षा पूर्ण करवाएगा, सरकार से सहायता प्राप्त करने वाले एवं निजी स्कूल प्रारम्भिक कक्षा के कुल 25% छात्रों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाएंगे, प्राइवेट स्कूल में 25% छात्रों को निशुल्क शिक्षा के लिए सरकार द्वारा तय की गई राशि उपलब्ध कराई जायेगी, प्रत्येक विद्यालय स्थानीय प्राधिकारी द्वारा चाही गई सुचना उपलब्ध करवाने के लिए बाध्य होगा

*धारा 13*
प्रवेश के लिए कोई फीस या परीक्षा नहीं लेना,
उलन्घन करने पर प्रवेश शुल्क के 10 गुना तक जुर्माना
प्रवेश परीक्षा लेने पर पहली बार में 25000व आह्ली बार में 50000 रूपये जुर्माना

*धारा 14*
बालक की आयु के निर्धारण के लिए सरकार द्वारा तय किये गए दस्तावेज को आधार माना जायेगा, जन्मतिथि का प्रमाण पत्र न होने पर प्रवेश से इंकार नहीं

*धारा 15*
शैक्षणिक सत्र के प्रारम्भ में या सरकार द्वारा तय समय अवधि के दौरान या उसके बाद भी प्रवेश, तय अवधिनके पश्चात प्रवेश की स्थिति में तय तरीके से अध्ययन पूरा करवाया जायेगा।

*धारा 16*
किसी भी बालक को फ़ैल नहीं किया जायेगा, न ही स्कूल से निकाला जायेगा, कम अंकोंके आधार पर फ़ैल नहीं किया जायेगा, बच्चा नियमित स्कूल आएगा तो सिखाना तो होगा ही

*धारा 17*
शारीरिक मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं क्या जायेगा, न मारपीट न अपमानजनक शब्दों का प्रयोग
उलन्घन पर सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही

*धारा 18*
बिना सरकार की पुर्वानुमति व प्रमाण पत्र के कोई स्कूल नहीं खोला जा सकेगा,
तय प्रारूप अवधि तरीके व शर्तों के अधीन स्कूल खोलने की अनुमति के लिए प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा,
मान्यता की शर्तों के उलन्घन पर लिखित आदेश द्वारा मान्यता वापस,
मान्यता वापसी से पूर्व विद्यालय को सुनवाई का अवसर, मान्यता वापसी पर उस विद्यालय के छात्र पास के अन्य विद्यालय में प्रवेश दिया जायेगा, मान्यता समाप्त होने की तिथि से कार्य नहीं कर सकेगा,
मान्यता प्रमाण पत्र के बिना या मान्यता समाप्ति पर स्कूल चलने पर जुर्माना प्रतिदिन के हिसाब से 10000 रूपये

*धारा 19*
विद्यालय को मान्यता प्रदान करने की शर्तें

*धारा 20*
केंद्र सरकार द्वारा लिखित अधिसुचना द्वारा संशोधन सम्भव

*धारा 21*
विद्यालय प्रबन्धन समिति का गठन, संगठन व कार्य

*धारा 22*
smc द्वारा विद्यालय विकास योजना तैयार करना,
योजना सरकार द्वारा बनाई जाने वाली योजना व अनुदान के आधार पर

*धारा 23*
शिक्षक नियुक्ति हेतु शर्तें व वेतन भत्ते सेवा नियम

*धारा 24*
शिक्षक के कर्तव्य: नियमित आना व समय पालन,
पाठ्यक्रम सञ्चालन व तय समय में  पूरा करना,
प्रत्येक बच्चे के पढ़ने के स्तर , गति को जांचना, दर्ज करना, व उस आधार पर शिक्षण योजना बनाना, आवश्यकता होने पर अतिरिक्त कक्षाएं लेना,
माता पिता अभिभावक को बच्चे की उपस्थिति, नियमितता, शैक्षिक स्तर की नियमित जानकारी देना,
सरकार द्वारा तय अन्य शैक्षिक कार्य,
न करने पर कार्यवाही, कार्यवाही से पूर्व सुनवाई का अवसर,
शिक्षकों की समस्याओं को तय विधि से दूर करना

*धारा 25*
6 माह में अनुसूची में तय छात्र शिक्षक अनुपात बनाना,
धारा 27 में दर्ज कार्यों के अतिरिक्त अन्य कार्य में शिक्षकों को न लगाना

*धारा 26*
कुल स्वीकृत पदों में से 10% से अधिक रिक्त नहीं रखे जा सकते

*धारा 27*
शिक्षक को दस वर्षीय जनगणना, आपदा राहत, पंचायत राज संस्थाओं ,स्थानीय निकाय, विधान मण्डल, विधान सभा, संसदीय चुनाव से जुड़े कार्य के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नहीं दिया जायेगा

*धारा 28*
शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन नहीं करेगा

*धारा 29*
प्रा. शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षण प्रक्रिया व मूल्यांकन प्रक्रिया

*धारा 30*
प्रा. शिक्षा यानि कक्षा 8 पूरी करने तक किसी बोर्ड परीक्षा मे बैठना आवश्यक नहीं
पूरी करने पर प्रमाण पत्र

*धारा 31*
बालक अधिकार संरक्षण आयोग, राष्ट्रिय बालक अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य बालक अधिकार संरक्षण आयोग के कार्य

*धारा 32*
बालक के अधिकार के सम्बन्ध में शिकायत, निराकरण व सुनवाई प्रक्रिया

*धारा 33*
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन, संघठन, कार्य, सदस्यों की नियुक्ति, वेतन, भत्ते सेवा शर्तें

*धारा 34*
राज्य सलाहकार परिषद का गठन, संघठन, कार्य, सदस्यों की नियुक्ति, वेतन भत्ते, सेवा शर्तें

*धारा 35*
केंद्र, राज्य सरकार द्वारा मार्गदर्शक सिद्धान्त जारी करना

*धारा 36*
जुर्माना लगाने से पूर्व तय सक्षम अधिकारी से पुर्वानुमति

*धारा 37*
इस एक्ट के सन्दर्भ में केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय अधिकारी, केंद्रीय, राज्य बालक अधिकार संरक्षण आयोग विद्यालय प्रबन्धन समिति के विरुद्ध न्यायालय में वाद दायर नहीं किया जा सकता

*धारा 38*
राज्य द्वारा अधिसूचना जारी करना,
सभी या किन्ही नियमों हेतु उपबन्ध लगा सकेंगे,
विशेष प्रशिक्षण के तरीके और समय सीमा का निर्धारण करना, पड़ोसी विद्यालय की स्थापना के लिए क्षेत्र व सीमाएं लगाना,
14 वर्ष की आयु तक के बालकों के अभिलेख के रख रखाव की रीति,
प्राइवेट स्कूल में 25% निशुल्क प्रवेश, पुनर्भरण की रीति व तय सीमा,
आयु निर्धारण हेतु दस्तावेज,
लेट प्रवेश पर शिक्षण की पूर्ति की रीति,
मान्यता प्रमाण पत्र का प्रारूप, तरीका, अधिकारी, संस्था,
प्रमाण पत्र का प्रारूप, अवधि, जारी करने का तरीका, शर्तें,
Smc द्वारा किये जाने वाले कार्य,
विद्यालय विकास योजना तैयार करने का तरीका,
शिक्षक को वेतन भत्ते, सेवा शर्तें,
शिक्षक के कर्तव्य,
शिक्षक शिकायत निवारण का तरीका,
प्राधिकरण, गठन, नियम शर्त,
सलाहकार परिषद सदस्य की नियुक्ति की शर्तें, वेतन भत्ते आदि के लिए नियम अ उप नियम बनाने का अधिकार
इस नियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम या अधिसूचना को यथाशीघ्र विधानमण्डल के समक्ष रखी जायेगी।
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प्रारंभिक गतिविधियां

विद्यालय हमारे लिए ऐसा स्थान जहां हम कुछ सीखने सिखाने आते हैं। बच्चा घर के स्वतन्त्र वातावरण से निकल कर जब कक्षा एक में प्रवेश लेता है तो विद्यालय की दीवारें उसे बन्धन लगती हैं,ऐसी स्थिति में बच्चे को ऐसा वातावरण मिले कि वह स्वतन्त्र होकर खेल सके, बोल सके तो वह विद्यालय आने में रूचि लेगा।
हमारे सामने प्रश्न है कि हम बच्चों को क्या और कैसे सिखाये। सबसे पहले दक्षताओं की बात करते हैं। पहली दक्षता सुनना तो चलिए सुनाते हैं बच्चों को कुछ मजेदार कविताएँ, कहानियाँ और बच्चों को जोड़ते हैं विद्यालय से फिर बात आती है बोलने की तो क्यों ना बच्चों में सबसे पहले मौखिक भाषा विकास किया जाये। बच्चों से उनके घर परिवार, पड़ोस की बात करें वह जो बोल रहा है बोलने दे और बात समाप्त होने पर शाबाशी अवश्य दें।
   कक्षा एक की पुस्तक कलरव में  बाग और तालाब गणित ऐसे पाठ हैं जिन पर कई दिनों तक चर्चा की जा सकती है। पाठ को रोचक बनाने के लिए कुछ बच्चों को मेंढक, बन्दर, बतख, गाय, साँप,कुत्ता, चिड़िया,मुर्गा आदि पर अभिनय कराया जा सकता है अथवा बच्चों से पाठ के चरित्रों की बोलियों की नकल करायी जा सकती है, देखिए बच्चे कैसे रूचि लेकर सीखते हैं और विद्यालय से जुडते हैं।भाषा विकास में कहानी का अपना ही महत्व है और यदि कहानी अभिनय के साथ प्रस्तुत की जाये तो सोने पे सुहागा। बच्चों को शेर और खरगोश की कहानी सुनाकर उनसे अभिनय कराये, शेर कैसे दहाड़ा? खरगोश ने क्या किया? अच्छा कुआँ कितना गहरा होगा?जैसे प्रश्न कहानी सुनाने के बाद पूछते रहे बच्चे बोलना सीखेंगे।
भैंस चली गाय से मिलने  कहानी द्वारा बच्चों की कल्पना शक्ति का विकास किया जा सकता है? भैंस बस पर कैसे चढ़ेगी?
कुछ पर्चियां बना लीजिए जिन पर लिखा हो ---
मम्मी कैसे डांटती है?
मेंढक जैसे बोल कर दिखाओ।
सब्जी बेचने वाला कैसे आवाज लगाता है?
कुल्फी वाला कैसे बुलाता है?
छोटा भाई बहन कैसे रोते हैं?
बच्चों से ये पर्चियां एक एक कर उठवाकर उन पर लिखी बातों पर अभिनय कराये।

शिक्षकों को मिलने वाले अवकाश

शिक्षक - शिक्षिकाओं को अवकाश

1-अर्जित अवकाश :-
यह अवकाश प्रत्येक वर्ष 31 दिन के देय है। 1 जनवरी को 16 दिन तथा 1 जुलाई को 15 दिन दो किस्तों में देय है।
यह अवकाश पूरे सेवा काल में 300 दिनों तक जमा किया जा सकता है। भारत में लगातार 120 दिन की तथा भारत से बाहर 180 दिनों की छुट्टी देय है।
मूल नि.- 81-बी(1)

2-चिकित्सा अवकाश-
यह अवकाश स्थाई कार्मिकों को पूरे सेवा काल में 12 माह तक पूरे वेतन पर तथा 6 माह तक अर्ध वेतन पर देय है।
मूल नि.-81-बी(3)

3-निजी कार्य पर, अर्ध वेतन पर अवकाश-
स्थाई कार्मिकों को यह अवकाश पूरे सेवा काल में 365 दिनों तक अर्ध वेतन पर देय है। यह अवकाश भी अर्जित अवकाश की तरह 1 जनवरी को 16 दिन तथा 1 जुलाई को 15 दिन कर्मचारी के खाते में जमा हो जाता है तथा यह अवकाश भी कर्मचारी के खाते में पुरा यानी 365 दिनों तक जमा किया जा सकता है।
मूल नि.-81-बी(3)

4-असाधारण अवकाश ( बिना वेतन का )-
यह अवकाश अन्य अवकाश के साथ मिलाकार अथवा बिना वेतन का अवकाश अलग से 5 वर्ष तक का देय है। 5 वर्ष से अधिक शासन द्वारा स्वीकृति किया जा सकता है।
मूल नि.-18, 81-बी(5)

5-विशेष बिकलांगता अवकाश-
यह अवकाश ड्यूटी करते समय दुर्घटना होने पर कूल 24 माह का निम्न प्रकार देय है।

1- प्रथम 6 माह पूरे वेतन पर। तथा यह 6 माह ड्यूटी मानी जायेगी।
2-119 दिन पूर्ण वेतन पर। लेकिन यह अवकाश माना जायेगा।
3-शेष 14 माह 1 दिन अर्ध वेतन पर देय है।

यह अवकाश किसी भी अन्य अवकाश से घटाया नही जायेगा।
मूल नि.-83 तथा 83 ए
मूल नि.-9(6) ख (4)
मूल नि.-83 क (3) (ख)

6-अध्ययन अवकाश(study leave)-
यह अवकाश पूरे सेवा काल 24 माह का अर्ध वेतन पर देय है। एक बार में लगातार 12 माह तक छुट्टी देय है। यह अवकाश भी किसी अन्य अवकाश से घटाया नही जायेगा।
नोट-यह उन्ही कर्मचारी को मिलेगी जिनकी सेवा काल 5 वर्ष हो गई हो। तथा यह अवकाश सेवानिवृति होने के 3 वर्ष पहले तक ही मिलेगी।
मूल नि.-84

7-राश्रीकृति अवकाश (commuted leave)-
यह अध्ययन अवकाश की तरह ही है। इसमें भारत में 45 दिन तक तथा भारत से बाहर 90 दिन तक पूरे वेतन पर देय है। लेकिन यह अवकाश निजी कार्य पर अर्ध वेतन पर जमा अवकाश में से दुगुनी घटाई जायेगी।
मूल नि.-81(बी)-4

8-प्रसूति अवकाश (महिलाओं के लिए )-
यह अवकाश केवल महिलाओं को प्रसूति हेतू 180 दिन यानी 6 माह तक 2 बच्चों तक देय है। तथा बच्चों के पालन पोषण हेतू 730 दिन तक पूरे वेतन पर दो बच्चों तक अलग से देय है। यह 730 दिन का अवकाश बच्चों के 18 वर्ष की उम्र होने तक due रहेगी। तथा एक कलेंडर वर्ष में 3 बार देय है। लेकिन एक बार में कम से कम 15 दिन का छुट्टी लेना होगा।
इसके अलावा गर्भ समापन अवकाश, चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर 6 सप्ताह तक पुरे वेतन पर पूरे सेवा काल में असीमित बार देय है।
नोट- गर्भ समापन का मतलब बच्चा ख़राब होने से है।
सहायक नि.-153
शासनादेश संख्या-2-2017, दि. 08.12.2008

9-चिकित्सालय अवकाश-
यह अवकाश उन कर्मचारियों को देय है जिनकी जान का जोखिम हो तथा सभी विभागों के सुरछा गार्डों एवं बंदी रच्छकों को देय है। यह अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों को देय है।
प्राथमिकी चिकित्सक की संस्तुति पर 6 माह तक देय है। जिसमे प्रथम 3 माह पूर्ण वेतन पर तथा अगला 3 माह अर्ध वेतन पर। 3 वर्ष बाद पुनः6 माह का उपरोक्तानुसार देय होगा।

10-एंटी रेबीज उपचार हेतू अवकाश-
यदि किसी कार्मचारी को पागल कुत्ता या अन्य जानवर काट ले तो उसे सरकारी चिकित्सक की संस्तुति पर पूर्ण वेतन पर अवकाश देय है। यह अवकाश किसी अन्य अवकाश से घटाया नही जाएगा। दिन की कोई सीमा तय नहीं है। डॉक्टर के द्वारा छुट्टी के दिनों की संख्या निर्धारित होगी।
मूल नि.-9(6) (क) (3)

11-आकस्मिक अवकाश-
यह अवकाश प्रत्येक कलेंडर वर्ष में 14 दिन देय है। तथा 2-3दिन का विशेष अवकाश भी स्वीकृति किया जा सकता है। एक बार में अधिकतम 10 दिनों की छुट्टी स्वीकृति हो सकती है। यह अवकाश कर्मचारी के खाते में जमा नही होगी। हर साल छुट्टी न लेने पर बची हुई छुट्टी स्वतः ही लेप्स हो जायेगी।
ध्यान रहे यह अवकाश लेने पर बीच में पड़ने वाले अवकाश जैसे रविवार या अन्य छुट्टी को जोड़ा नही जायेगा।

रविवार, 3 जुलाई 2016

शहरों व राज्यों के उपनाम

भारत के शहरो व राज्य के भौगोलिक उपनाम
.. .
1. ईश्वर का निवास स्थान - प्रयाग
2. पांच नदियों की भूमि -पंजाब
3. सात टापुओं का नगर- मुंबई
4. बुनकरों का शहर- पानीपत
5. अंतरिक्ष का शहर बेंगलुरू
6. डायमंड हार्बर -कोलकाता
7. इलेक्ट्रॉनिक नगर -बेंगलुरू
8. त्योहारों का नगर -मदुरै
9. स्वर्ण मंदिर का शहर -अमृतसर
10. महलों का शहर कोलकाता
11. नवाबों का शहर- लखनऊ
12. इस्पात नगरी -जमशेदपुर
13. पर्वतों की रानी -मसूरी
14. रैलियों का नगर -नई दिल्ली
15. भारत का प्रवेश द्वार मुंबई
16. पूर्व का वेनिस- कोच्चि
17. भारत का पिट्सबर्ग -जमशेदपुर
18. भारत का मैनचेस्टर- अहमदाबाद
19. मसालों का बगीचा -केरल
20. गुलाबी नगर- जयपुर
21. क्वीन ऑफ डेकन- पुणे
22. भारत का हॉलीवुड -मुंबई
23. झीलों का नगर -श्रीनगर
24. फलोद्यानों का स्वर्ग -सिक्किम
25. पहाड़ी की मल्लिका -नेतरहाट
26. भारत का डेट्राइट -पीथमपुर
27. पूर्व का पेरिस- जयपुर
28. सॉल्ट सिटी- गुजरात
29. सोया प्रदेश -मध्य प्रदेश
30. मलय का देश- कर्नाटक
31. दक्षिण भारत की गंगा- कावेरी
32. काली नदी- शारदा
33. ब्लू माउंटेन - नीलगिरी पहाड़ियां
34. एशिया के अंडों की टोकरी - आंध्र प्रदेश
35. राजस्थान का हृदय - अजमेर
36. सुरमा नगरी - बरेली
37. खुशबुओं का शहर -कन्नौज
38. काशी की बहन -गाजीपुर
39. लीची नगर देहरादून
40. राजस्थान का शिमला -माउंट आबू
41. कर्नाटक का रत्न -मैसूर
42. अरब सागर की रानी -कोच्चि
43. भारत का स्विट्जरलैंड -कश्मीर
44. पूर्व का स्कॉटलैंड- मेघालय
45. उत्तर भारत का मैनचेस्टर - कानपुर
46. मंदिरों और घाटों का नगर - वाराणसी
47. धान का डलिया- छत्तीसगढ़
48. भारत का पेरिस -जयपुर
49. मेघों का घर -मेघालय
50. बगीचों का शहर- कपूरथला
51. पृथ्वी का स्वर्ग -श्रीनगर
52. पहाड़ों की नगरी- डुंगरपुर
53. भारत का उद्यान -बेंगलुरू
54. भारत का बोस्टन -अहमदाबाद
55. गोल्डन सिटी -अमृतसर
56. सूती वस्त्रों की राजधानी - मुंबई
57. पवित्र नदी -गंगा
58. बिहार का शोक -कोसी
59. वृद्ध गंगा- गोदावरी
60. पश्चिम बंगाल का शोक- दामोदर
61. कोट्टायम की दादी- मलयाला
62. जुड़वा नगर --हैदराबाद- सिकंदराबाद
63. ताला नगरी -अलीगढ़
64. राष्ट्रीय राजमार्गों का चौराहा- कानपुर
65. पेठा नगरी -आगरा
66. भारत का टॉलीवुड- कोलकाता
67. वन नगर -देहरादून
68. सूर्य नगरी -जोधपुर
69. राजस्थान का गौरव- चित्तौड़गढ़
70. कोयला नगरी -धनबाद

जीवन की वर्णमाला

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*अ* से अदब करो.
*आ* से आत्मविश्वास रखो.
*इ* से इबादत करो.
*ई* से ईमानदार बनो.
*उ* से उत्साह रखो.
*ऊ* से ऊर्जावान बनो.
*ए* से एकता रखो.
*ऐ* से ऐश्वर्यवान बनो.
*ओ* से ओजस्वी बनो.
*औ* से औरों की सेवा करो.
*अं* से अंग-प्रदर्शन मत करो.
*क* से कर्म करो.
*ख* से खरे बनो.
*ग* से गरिमा रखो.
*घ* से घमण्ड मत करो.
*च* से चरित्रवान बनो.
*छ* से छलो मत.
*ज* से जलो मत.
*झ* से झगडो मत.
*ट* से टकराओ मत.
*ठ* से ठगो मत.
*ड* से डरो मत.
*ढ* से ढलना सीखो.
*त* से तरक्की करो.
*थ* से थको मत.
*द* से दया करो.
*ध* से धर्म करो.
*न* से नरम बनो.
*प* से परिश्रम करो.
*फ* से फर्ज निभाओ.
*ब* से बलवान बनो.
*भ* से भलाई करो.
*म* से महान बनो.
*य* से यकीन करो.
*र* से रहम करो.
*ल* से लछ्य पाओ.
*व* से वचन निभाओ.
*स* से समय के पाबंद बनो.
*श* से शक मत करो.
*ष* से षडयंत्र मत रचो.
*ह* से हँसमुख बनो.
*छ* से छमा करो.
*त्र* से त्राहि मत मचाओ.
*ग्य* से ग्यानी बनो.
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सुविचार

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1. जिदंगी मे कभी भी किसी को
      बेकार मत समझना क्योक़ि
        बंद पडी घडी भी दिन में
          दो बार सही समय बताती है
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2. किसी की बुराई तलाश करने
      वाले इंसान की मिसाल उस
       मक्खी की तरह है जो सारे
         खूबसूरत जिस्म को छोडकर
           केवल जख्म पर ही बैठती है
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3. टूट जाता है गरीबी मे
      वो रिश्ता जो खास होता है
        हजारो यार बनते है
          जब पैसा पास होता है
����
4. मुस्करा कर देखो तो
      सारा जहाॅ रंगीन है
        वर्ना भीगी पलको
          से तो आईना भी
             धुधंला नजर आता है
����
5..जल्द मिलने वाली चीजे
      ज्यादा दिन तक नही चलती
        और जो चीजे ज्यादा
           दिन तक चलती है
             वो जल्दी नही मिलती
����
6. बुरे दिनो का एक
      अच्छा फायदा
         अच्छे-अच्छे दोस्त
            परखे जाते है
����
7. बीमारी खरगोश की तरह
      आती है और कछुए की तरह
        जाती है
          जबकि पैसा कछुए की तरह
             आता है और.खरगोश की
                तरह जाता है
����
8. छोटी छोटी बातो मे
      आनंद खोजना चाहिए
        क्योकि बङी बङी तो
          जीवन मे कुछ ही होती है
����
9. ईश्वर से कुछ मांगने पर
      न मिले तो उससे नाराज
        ना होना क्योकि ईश्वर
           वह नही देता जो आपको
             अच्छा लगता है बल्कि
                वह देता है जो आपके लिए
                    अच्छा होता है
����
10. लगातार हो रही
        असफलताओ से निराश
           नही होना चाहिए क्योक़ि
              कभी-कभी गुच्छे की आखिरी
                  चाबी भी ताला खोल देती है
����
11. ये सोच है हम इसांनो की
        कि एक अकेला
          क्या कर सकता है
             पर देख जरा उस सूरज को
                वो अकेला ही तो चमकता है
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12. रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो
        उन्हे तोङना मत क्योकि
          पानी चाहे कितना भी गंदा हो
             अगर प्यास नही बुझा सकता
                 वो आग तो बुझा सकता है
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13. अब वफा की उम्मीद भी
         किस से करे भला
            मिटटी के बने लोग
               कागजो मे बिक जाते है
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14. इंसान की तरह बोलना
         न आये तो जानवर की तरह
             मौन रहना अच्छा है
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15. जब हम बोलना
         नही जानते थे तो
           हमारे बोले बिना'माँ'
             हमारी बातो को समझ जाती थी
                 और आज हम हर बात पर
                     कहते है छोङो भी 'माँ'
                         आप नही समझोगी
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16. शुक्र गुजार हूँ
        उन तमाम लोगो का
           जिन्होने बुरे वक्त मे
              मेरा साथ छोङ दिया
                 क्योकि उन्हे भरोसा था
                    कि मै मुसीबतो से
                       अकेले ही निपट सकता हूँ
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17. शर्म की अमीरी से
         इज्जत की गरीबी अच्छी है
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18. जिदंगी मे उतार चङाव
         का आना बहुत जरुरी है
            क्योकि ECG मे सीधी लाईन
                का मतलब मौत ही होता है
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19. रिश्ते आजकल रोटी
         की तरह हो गए है
            जरा सी आंच तेज क्या हुई
               जल भुनकर खाक हो जाते
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20. जिदंगी मे अच्छे लोगो की
        तलाश मत करो
          खुद अच्छे बन जाओ
            आपसे मिलकर शायद
               किसी की तालाश पूरी हो

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