मंगलवार, 19 जनवरी 2016

प्रसन्नता

सभी को प्रसन्न करना असंभव जब आप अपने आसपास मौजूद सभी लोगों को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं तो इस तरह के लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ऐसे में निराशा आपको घेरे यह बहुत संभव है। इस तरह की स्थिति से उपजने वाली निराशा से खुद को बचाना हो तो आपको अपनी प्रसन्नाता के लिए काम करना चाहिए। अपनी प्राथमिकताएं तय करना बहुत जरूरी है। याद रहे जरूरत से ज्यादा वादे भी हमें हताशा की स्थिति में डाल सकते हैं। किसी की मदद कीजिए जब आप खिन्न या हताश महसूस कर रहे हैं तो अपने आसपास किसी की मदद करने का कोई अवसर तलाशिए। दूसरों के साथ जुड़िए। दूसरों की प्रसन्नता के लिए छोटा काम हाथ में लीजिए, आपको अपना जीवन अर्थवान नजर आने लगेगा। जीवन मूल्यवान लगने लगेगा। हम अक्सर ढर्रे पर चलते हुए भी जीवन का मूल्यांकन करने में असमर्थ हो जाते हैं। हमें लगता है कि जीवन उतनी ही दूर तक है जितना हम देख पा रहे हैं लेकिन जीवन उससे भी आगे है, वहां भी जहां हम नहीं देख पा रहे।

वर्तमान

भूत ना भविष्य केवल वर्तमान जब भी हम बीती चीजों के बारे में ज्यादा सोचते हैं तो मन में एक अजीब सी उदासी घर कर ही जाती है, इसी तरह भविष्य के बारे में सोचते हुए भी हम आशंकित और डरे हुए रहते हैं। इनका असर हमारे वर्तमान को खराब करता है। अगर हम आज में ही जिएं और आज हम क्या अच्छा कर सकते हैं उस विचार के साथ आगे बढ़ें तो शायद जीवन में निराशा के लिए कोई जगह नहीं होगी। हम जो नहीं कर पाए उसके लिए उदास क्यों होना, हम आज जो कर सकते हैं उस पर बीते दिनों का असर आखिर क्यों आने देना चाहिए। बीती बातों को भुलाकर अगर आज में ही अपनी उर्जा लगाई जाए तो बेहतर नतीजे हमें आगे बढ़ने को ही प्रेरित करेंगे। कल में अटके रहकर हम अपने आज को भी प्रभावित करते हैं और आने वाले कल को भी।

खुशी

प्रिय चीजों से जुड़ें जब भी आप कमजोर क्षणों से गुजरें तो उन चीजों से जुड़ें जो आपको खुशी देती हों। आपका आनंद चाहे जो हो उसमें डूबने की कोशिश करें। जब आप अपने आनंद के क्षेत्र में डूबेंगे तो निराशा से उबर जाएंगे। निराशा हम इसलिए महसूस करते हैं कि हमें जीवन का कोई अर्थ नजर नहीं आता है लेकिन जब हम अपनी रूचि की चीजों को देखते हैं तो जीवन के प्रति आशा बंधती है। कोई अच्छी पुस्तक, कविता, संगीत, फिल्म या मनबहलाव का कोई भी अन्य माध्यम जो हमारा ध्यान निराशा के उन क्षणों से कहीं ओर ले जाता हो वह ऐसे समय में हमारा आश्रय बन सकता है और हमें राहत दे सकता है।

मित्रों की मदद

मित्रों की लें मदद जब भी जीवन में हताशा से सामना हो तो अपने मित्रों के साथ समय बिताएं। ऐसे समय जबकि आप हताशा महूसस कर रहे हैं तब खुद को दुनिया से अलग-थलग न कर लें क्योंकि इस तरह आप अपने ही विचारों में कैद हो जाते हैं। मित्र उन खिड़कियों की तरह होते हैं जिनसे जीवन में ताजी हवा आती है। चाहे कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न हो एक अच्छा मित्र आपको गहन निराशा के क्षणों से उबारने का काम करता है। अक्सर हम परिवार के साथ बहुत सी बातें साझा नहीं कर पाते हैं क्योंकि उम्र और समझ का अंतर बीच में होता है लेकिन हमारे मित्र हमारी मनोस्थिति और हमारे बर्ताव को बेहतर तरीके से समझते हैं। वे हमारी जरूरतों से परिचित होते हैं और इसलिए उनके सामने अपनी पीड़ा कहने में किसी तरह की झिझक नहीं होना चाहिए। वे ठीक समाधान तलाशने में हमारी मदद करते हैं। एक अच्छा दोस्त विकट परिस्थितियों में हमारा सबसे बेहतर मार्गदर्शक होता है।

सीख

हार से सीखने का प्रयास करें असफलता और हार भी हमें बहुत कुछ सीखने का मौका देती है। जब भी हम हारते हैं या निराश होते हैं तब हम धैर्य रखना सीखते हैं। हम सफलता के लिए अधिक उद्यत होते हैं। जब भी हार होती है तो उसे इस तरह ही देखें कि आपके प्रयास सफलता के लिए पर्याप्त नहीं थे और आपको सफलता के लिए और तैयारी की जरूरत है। निराशा में ही आशा छिपी होती है। क्रिकेट के मैच में एक टीम हारती है लेकिन अगले मैच में वह इस हार को भुलाकर जीतने की कोशिश करती है। ऐसे भी पर्वतारोही हैं जिन्हें पर्वत ने कई बार हराया लेकिन उन्होंने जीत के लिए साहस नहीं हारा और अंतत: पर्वत उनकी इच्छाशक्ति के आगे झुका। तो अपनी हार में उन कारणों को ढूंढने का प्रयास होना चाहिए जिनसे आप सफलता से दूर रहे और उन्हें सुधारने का प्रयास आपको विजेता बनाता है। जब आप एक एक करके अपनी कमजोरियों पर काम करते हैं तो आप खुद को विपरीत परिस्थितियों के योग्य बना लेते हैं।

अपेक्षा

अपेक्षाओं को कम रखें इस बात का स्मरण रहे कि हमेशा ही जीवन में जीत नहीं मिलती है। हर उम्मीदवार को नौकरी नहीं मिल जाती है, हर काम पक्ष में ही नहीं हो पाता है। जीवन तो उतार चढ़ाव का नाम है। यहां हर तरह की स्थिति बनती है और आनंद भी इसी में है। इसलिए हर स्थिति में सहज रहना जरूरी है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आप अपने लिए ऊंचे लक्ष्य तय ही न करें। अपने लक्ष्य ऊंचे रखें लेकिन उन लक्ष्यों के पूरा न होने पर भी जीवन को रुकने न दें। किंग सोलोमन ने एक जगह लिखा है, जब मैं उन चीजों को देखता हूं जिन्हें पाने के लिए मैंने कडी मेहनत की तो वे सारी चीजें बहुत अर्थहीन नजर आती हैं... मुझे ऐसा लगता है मानो मैं हवा का पीछा कर रहा था। इसलिए अपनी अपेक्षाओं का एक संतुलन बनाना जरूरी है। उनके लिए प्रयास हो लेकिन प्रयास सफल न होने पर निराशा घर न करे। अपने मन का हो तो अच्छा और न हो तो और भी अच्छा के भाव से अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करें।

आशा

जिंदगी कभी निराश होना नहीं सिखाती निराशा के क्षणों को कभी भी जीवन पर हावी न होने दें। बल्कि जीवन के हताशा भरे क्षणों से कुछ सीखने का प्रयास करें। इन लम्हों से उबरकर आगे बढ़ना और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। चाहे कामकाजी जीवन हो, व्यक्तिगत संबंध या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां, इन सभी कारणों से हमारे जीवन में निराशा के क्षण आते हैं। कुछ ऐसे क्षण जब हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य को कम महसूस करने लगते हैं। खुद को असमर्थ और असहाय पाते हैं। लगने लगता है कि हम जीवन को आगे ले जाने में खुद को सामर्थ्यवान नहीं पा रहे हैं। निराशा के ऐसे क्षण हमें अवसाद और दुख भी देते हैं। लेकिन निराशा को जीवन पर हावी होने दिया जाए तो जीवन की स्वाभाविक गति प्रभावित होने लगती है इसलिए उन पलों से बाहर आ जाने का अर्थ ही जीवन है। कई बार पूर्व में दुर्घटनाएं हमारे मन को अपने कब्जे में कर रखती हैं और हम खुद को उनसे मुक्त कर पाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। आगे बढ़ने की राह में वे सबसे बड़ी बाधा हैं। हार, असफलता और तकलीफों से उपजी निराशा को पीछे छोड़कर ही जीवन को अच्छे से जिया जा सकता है। अपनी निराशाओं से उबरने के लिए कुछ छोटे प्रयास कारगर सिद्ध हो सकते हैं।

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