गुरुवार, 13 जून 2024

जापानी अवधारणाएँ

 *जापानी अवधारणाएँ*


दस जापानी अवधारणाएँ जो आपके जीवन को बेहतर बनाएँगी:


*1: ओबैतोरी*


कभी भी खुद की तुलना न करें।

हर कोई अपने समय में अलग-अलग तरीकों से खिलता है।


*2: काइज़ेन*


लगातार सुधार करें।

अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सुधार करने का लगातार प्रयास करें।

छोटे-छोटे बदलाव जमा होते हैं और सब कुछ बदल देते हैं।


*3: वाबी-सबी*


अपूर्णता को अपनाएँ। कुछ भी स्थायी नहीं है, कुछ भी पूर्ण नहीं है। अपनी और दूसरों की खामियों को स्वीकार करें। अपूर्णता में सुंदरता खोजें।


*4: मोत्तैनाई*


बेकार न करें।

हर चीज़ सम्मान और कृतज्ञता की हकदार है।

अपने आस-पास मौजूद चीज़ों के मूल्य को पहचानें और उसे बर्बाद न करें।


*5: गमन*


संकट के समय गरिमा बनाए रखें।

मुश्किल समय का सामना भावनात्मक परिपक्वता और आत्म-नियंत्रण के साथ करना चाहिए। हमें धैर्य, दृढ़ता और सहनशीलता की ज़रूरत है।


*6: युगेन*


रहस्यमय सुंदरता की सराहना करें।

 अक्सर हम किसी वस्तु में सुंदरता महसूस करते हैं, जबकि वह देखने में आश्चर्यजनक नहीं होती।


सौंदर्यबोध से परे सूक्ष्म सुंदरता की खोज करें।


कुछ ऐसा अनुभव करें जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।


*7: इकिगाई*


अपने होने का कारण जानें। सुबह उठने का कारण निर्धारित करें। इसे कुछ ऐसा बनाएं जिसमें आप अच्छे हों, जिसके लिए आप जुनूनी हों और जिसकी दुनिया को ज़रूरत हो।


*8: शिकाता गा नाई*


स्वीकार करें और जाने दें।


कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं। जो आप बदल नहीं सकते, उसे स्वीकार करें और आगे बढ़ें।


*9: किंत्सुगी*


सोने से दरारें ठीक करें। खामियाँ सुंदरता की चीज़ हैं। हम सभी जो यात्राएँ करते हैं, वे सुनहरी होती हैं। हमारी खामियाँ अलंकरण हैं जो हमें और अधिक सुंदर बनाती हैं।


*10: ओमोयारी*


दूसरों के लिए विचारशील बनें। जब हम दूसरों की परवाह करते हैं, तो जीवन बेहतर होता है। विचारशील बनें। करुणा का निर्माण करें।🥀🍀

शनिवार, 8 जून 2024

DRG Training news

 *नई शिक्षा नीति के अनुसार अब होगी पढ़ाई*


*शिक्षक को प्रशिक्षण देने प्रशिक्षित हुए डीआरजी*



https://news24carate.com/?p=102444

FLN training news Durg

 जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान डाइट जिला दुर्ग द्वारा आयोजित चार दिवसीय FLN प्रशिक्षण में जिला स्रोत शिक्षक प्रशिक्षित हुए। https://dakshinkaushal.com/district-education-training-no/

Fln training news

 *नई शिक्षा नीति के अनुसार अब होगी पढ़ाई, शिक्षक को प्रशिक्षण देने प्रशिक्षित हुए DRG जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान डाइट जिला दुर्ग द्वारा आयोजित – https://cgmitan.com/now-studies-will-be-conducted-as-per-the-new-education-policy-drg-trained-teachers-for-training-organized-by-district-education-training-institute-diet-district-durg*

शनिवार, 20 अगस्त 2022

कृष्ण जन्माष्टमी

 *शासकीय नवीन प्राथमिक शाला केसरा में बस्ता मुक्त शनिवार के दिन हर्षोल्लास से मनाया गया कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व*

https://cgmitan.com/the-festival-of-krishna-janm-6300c90bdaa09

शुक्रवार, 22 मई 2020

रायपुर के अधीन गढ़ -
रायपुर
पाटन
सिमगा
सिंगारपुर
लवण
अमोरा
दुर्ग
सारधा
सिरसा
मोहदी
खल्लारी
सिरपुर
फिंगेश्वर
राजिम
सिंगारगढ़
सुवर्मार
टेंगनागढ़
अकलवाड़ा
रतनपुर के अधीनगढ़ -
रतनपुर
विजयपुर
खरोद
मारो
कोटगढ़
नवागढ़
सोंधी
ओखर
पड रभठ्ठ
सेमरिया
मदनपुर
लाफा
कोसगाई
केंदा
मातीन
उपरौरा
पेंड्रा
कुरकुट्टी
 रसोईघर अगर दक्षिण पूर्व में, बैडरूम दक्षिण पश्चिम में, बच्चों का बैडरूम उत्तर पश्चिम में और शौचालय आदि दक्षिण में नहीं है तो इससे घर में तनाव उत्पन्न हो सकता है. 
·     ध्यान दें कि घर का दरवाजा और खिड़कियाँ पूर्व या उत्तर में हो, आप अपने पूर्वजों की फ़ोटो पूजाघर में न रखें. उस फोटो को दक्षिण दिशा की दीवार पर ही लगाएं. 
·     जो भी प्लाँट या मकान तिकोने आकार का होता है, मतलब जिसके चार कोने न होकर सिर्फ तीन ही कोने होते है. ऐसे स्थान पर घर बनाने से आपको आपके जीवन में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
पूजा घर ( Prayer Room ) :-
1.                        पूजा घर के लिए उत्तर पूर्व दिशा सबसे अच्छी मानी गई है. घर में पूजा का स्थान उत्तर पूर्व में बनाने से सुख शांति की वृद्धि होती है. 
2.                        पूजा घर के ऊपर या नीचे बाथरूम नहीं होना चाहिए और यदि संभव हो तो बाथरूम पूजा घर से सटा हुआ भी नहीं होना चाहिए. 
3.                        पूजाघर की दीवारों का रंग सफेद या हल्का पीला हो तो बहुत ही शुभ माना जाता है. पूजाघर में संभव हो तो उत्तर या पूर्व की तरफ एक खिड़की जरूर लगवाएँ और अगर दरवाज़ा भी इसी दिशा में हो तो बहुत अच्छा है.
Remember These during Construction of Home
रसोई घर ( Kitchen ) :-
1.                        घर में रसोई के लिए आग्नेय कोण की दिशा बहुत ही शुभ मानी जाती है. अगर किसी कारणवश इस दिशा में रसोई बनाना संभव नहीं है, तो आप वायव्य दिशा में रसोई घर बना सकते है. 
2.                        ध्यान रखें कि खाना बनाते समय गृहणी का मुहँ पूर्व दिशा की तरफ ही हो और बाहर के दरवाजे से चूल्हा बिल्कुल भी दिखाई न दें. 
3.                        रसोईघर के बराबर में शौचालय नहीं होना चाहिए और जहाँ तक संभव हो रसोई घर में पूजा का स्थान बिल्कुल भी नहीं बनाएँ.  
मेहमान कक्ष ( Guest Room ) :-
1.घर बनाते समय इस बात पर जरूर ध्यान दें कि मेहमानों का अलग से कमरा जरूर बनवाएँ और मेहमानों का कमरा अन्य सभी कमरों के साथ ही हो, ताकि मेहमान खुद को आपसे अलग महसूस न करें.
2.कमरें में ऐसी अलमारी की व्यवस्था होनी चाहिए. जिसमें मेहमान अपना सामान रख सकें और उस अलमारी का आप ज्यादा इस्तेमाल न करते हो.
गृह निर्माण में महत्वपूर्ण तथ्य
3.मेहमानों वाले कमरे में उनके मनोरंजन के लिए म्यूजिक सिस्टम, टी.वी. और कम्प्यूटर आदि की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए और ध्यान दें कि इस कमरे में कोई भी लोहे की भारी वस्तु न रखें. 
शौचालय ( Toilet ) :-
1.               आजकल घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना बहुत ही आम बात है लेकिन ऐसा नही होना चाहियें. साथ ही बाथरूम दक्षिण दिशा में ही हो तो बहुत अच्छा है.
2.               ध्यान दें कि बाथरूम अच्छा होने के साथ साथ सकारात्मक उर्जा प्रदान करने वाला भी हो, ताकि पूरा दिन ख़ुशी से बीते और मन भी अच्छा रहें. 
3.               वैसे तो हम घर के एक एक कोने को बहुत ही सुंदर करके रखते है लेकिन जब बाथरूम की बात आती है, तो कोई न कोई कमी रह ही जाती है. जबकि बाथरूम को अगर साफ़ नहीं रखा जाएगा तो बहुत सी बीमारियों के उत्पन्न होने का खतरा रहता है.
वैसे तो ये बात बिल्कुल सही है कि एक बार जो सामान इस्तेमाल हो चुका हो उसको दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उसी तरह से नए घर में  ईंट, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी नई ही उपयोग करनी चाहिए. एक मकान में इस्तेमाल की गई वस्तु किसी और घर में नहीं लगानी चाहिए.
Makan ki Ninv Kab or Kaise Rakhen
घर बनाते समय हमेशा ध्यान दें कि ध्रुव तारे को याद करते हुए ही भवन का निर्माण करें और ध्यान रखें कि शाम और रात के समय में घर की नींव बिल्कुल भी न करें. 
घर का मुख्य द्वार सिर्फ एक ही होना चाहिए. जो उत्तर व पूर्व में ही अच्छा होता है. मुख्य गेट की चौखट चार लकड़ियों से मिलकर बनी होनी चाहिए और दरवाजें में दो पल्ले जरुर होने चाहिए. 
घर के निर्माण के समय ध्यान रखने वाली अन्य बातों और घर निर्माण में वास्तुशास्त्र के महत्व को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.

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