रविवार, 7 जनवरी 2018

Fock dance tricks

GK Trick Folk Dance 
करेले की कथा – ( केरल – कथकली )
पंजे में भांग डालो – ( पंजाब – भांगड़ा )
राजा तुम घुमो – ( राजस्थान – घूमर )
असम की बहु – ( असम – बिहू )
अरुण का मुखोटा – ( अरुणाचल – मुखोटा )
गुज़र गई गरीबी – ( गुजरात – गरबा )
झाड़ू में छाऊ – ( झारखण्ड – छऊ )
U K में गडा – ( उत्तराखंड – गढ़वाली )
अंधेरे मे कच्ची पूरी खाई – ( आंध्रप्रदेश – कुचिपुडी )
छतरी मे गाड़ी – ( छत्तीसगढ़ – गाडी )
हिम्मत की धमाल – ( हिमाचल – धमान )
गोवा की मंडी – ( गोवा – मंडी )
बंगले की काठी – ( पश्चिम बंगाल – काठी )
मेघ लाओ – ( मेघालय – लाहो )
नाग कि चोच – ( नागालैंड – चोंग )
उड़ी उड़ीं बाबा – ( उड़ीसा – ओड़िसी )
कान में करो यक्ष ज्ञान – ( कर्नाटक – यक्ष ज्ञान )


तुम मिले भरत – ( तमिलनाडु – भरतनाट्यम )
उत्तर की रास – ( उत्तर प्रदेश – रासलीला )

मजेदार मुहावरे

हिंदी की समझ रखने वालों को निश्चित ही मौज आएगी इसे पढ़ कर ......
         
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,
खाने पीने की चीजों से भरे है...
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है ,
फलों की ही बात ले लो...

*आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,*
*अंगूर खट्टे हैं,*
*खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,*
*कहीं दाल में काला है,*
*तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती,*

*कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,*
*तो कोई लोहे के चने चबाता है,*
*कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,*
*कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,*
*मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,*
*तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,*

*सफलता के लिए बेलने पड़ते है कई पापड़,*
*आटे में नमक तो जाता है चल,*
*पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,*
*अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,*

*गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,*
*और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,*
*कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,*
*कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,*
*कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,*
*किसी के दांत दूध के हैं,*
*तो कई दूध के धुले हैं,*

*कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,*
*तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,*
*किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,*
*दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,*
*और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,*

*शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो भी पछताए,*
*और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,*
*पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है,*
*और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,*

*कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,*
*किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...*
*कभी कोई चाय-पानी करवाता है,*
*कोई मख्खन लगाता है*
*और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,*
*तो सभी के मुंह में पानी आता है,*

*भाई साहब अब कुछ भी हो,*
*घी तो खिचड़ी में ही जाता है,*
*जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,*
*सब अपनी-अपनी बीन बजाते है,*
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है,
सभी बहरे है, बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें हैं...

ये गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं...
सच कंहें तो हिन्दी भाषा की जान हैं।

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