रविवार, 26 मार्च 2017

Heart touching line

*दिल को  छू लेने वाली ऐसी  37-लाइनें*
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1. *क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं*।

2. *ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं* ।

3. *कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं*, *और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं* ।

4. *इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म* ।

5. *सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा*. *आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन*
*धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा*।

6. *हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा* ।

7. *खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो* ।

8. *अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही* ।

9. *इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं* ।

10. *जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं* ।

11. *हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो* ।

12. *दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे* ।

13. *जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं* ।

14. *जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए* ।

15. *हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं..*
*भाग लो.. (run away)*
*भाग लो..(participate)*
*पसंद आपको ही करना हैं* ।

16. *इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे* ।

17. *अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं* ।

18. *यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए* ।

19. *इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा* ।

20. *दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना* ।

21. *कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो* ।

22. *यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं* ।

23. *मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें* ।

24. *यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं* ।

25. *संस्कारो से भरी कोई धन दौलत नही है* ।

26. *गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं* ।

27. *दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना स्वार्थ के प्यार करते हैं* ।

28. *कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर* ।

29. *घर आये हुए अतिथि का कभी अपमान मत करना, क्योकि अपमान तुम उसका करोगे और तुम्हारा अपमान समाज करेगा* ।

30. *जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा* ।

31. *हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती* ।

32. *दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता* ।

33. *जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)* ।

34. *मेने कई अपनों को वास्तविक जीवन में शतरंज खेलते देखा है* ।

35. *जिनमें संस्कारो और आचरण की कमी होती हैं वही लोग दूसरे को अपने घर बुला कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं* ।

36. *मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते* ।

37. *अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो मान कर चलना की ऊपर वाला भी आपको धोखा देगा क्योकि उसके यहाँ हर बात का इन्साफ जरूर होता है* ।

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     उम्मीद करता हूँ की आप को ये
  खूबसूरत लाइन जरूर पसंद आयेगी
   औरआप की अंदरुनी खूबसूरती में
      हंसमुखी निखार आये ,बस यही
प्रार्थना करता हूँ  , हँसते रहिये , हँसाते
                        रहिये

ICT award details

विद्यालयीन शिक्षकों हेतु राष्ट्रीय सुचना एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार (National Information & Communication Technology Award) 2017 -
जो शिक्षक अपने विद्यालय में नवीन संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग कर शिक्षण करा रहे हैं, ऐसे समस्त शिक्षकों हेतु भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक पृथक शिक्षक पुरस्कार प्रारम्भ की हैं जिसे ICT अवार्ड के नाम से जाना जाता हैं।
      यह पुरस्कार राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से पृथक किन्तु उसके समकक्ष ही हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार लंबी सेवाअवधि के फलस्वरूप उनके शिक्षकीय कार्य के आधार पर दिया जाता हैं तथा इसके नाम राज्य में ही तय कर लिए जाते हैं। ICT अवार्ड के चयन का मापदंड पृथक हैं। राष्ट्रीय स्तर पर सभी राज्यों के शिक्षकों को 10 मिनट का प्रेजेंटेशन देना होता हैं जिसके आधार पर शिक्षकों का चयन ICT अवार्ड के लिए किया जाता हैं।
चयन का मापदंड -
       ICT अवार्ड के चयन का मापदंड कठिन हैं। इसके चयन समिति में NCERT के डायरेक्टर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारीगण व IAS अधिकारियों समेत 5 सदस्यों की टीम होती हैं जो निम्नलिखित बिन्दुओ को सूक्ष्मता से objerve करती हैं :
१.  शिक्षक ने नवीन सुचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग क्यों प्रारम्भ किया ?
२.  ICT के इस्तेमाल में शिक्षक की क्या भूमिका रही ?
३. बच्चो ने ICT के द्वारा कैसे सीखा ?
४. बच्चो ने ICT के द्वारा क्या सीखा ?
      यदि इन सभी बिन्दुओ पर शिक्षक चयन समिति के सदस्यों (Jury Members) को प्रभावित करने में सफल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से आप भी इस राष्ट्रीय पुरस्कार के हक़दार हो सकते हैं।  इस पुरस्कार के विजेता को एक लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र देकर भारत के महामहिम राष्ट्रपति स्वयं प्रत्येक शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में सम्मानित करते हैं। 

मंगलवार, 21 मार्च 2017

विश्व कविता दिवस

https://youtu.be/j3xZAsWj1Zw

विश्व कविता दिवस (अंग्रेज़ी: World Poetry Day) प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने प्रति वर्ष 21 मार्च को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय किया। यूनेस्को ने 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी। विश्व कविता दिवस के अवसर पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी की ओर से सबद-विश्व कविता उत्सव का आयोजन किया जाता है।

उद्देश्य
विश्व कविता दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि विश्व में कविताओं के लेखन, पठन, प्रकाशन और शिक्षण के लिए नए लेखकों को प्रोत्साहित किया जाए। इसके जरिए छोटे प्रकाशकों के उस प्रयास को भी प्रोत्साहित किया जाता है जिनका प्रकाशन कविता से संबंधित है। जब यूनेस्को ने इस दिन की घोषणा की थी तब उसने कहा था कि क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता आंदोलन को यह एक तरह की पहचान मिली है।

आयोजन एवं कार्यक्रम
कविता रचनात्मक से जुड़ा क्षेत्र है इसलिए इस दिन सरकारी संस्थाएं, शिक्षक, सामुदायिक समूह तथा व्यक्तिगत रूप से कवि कविता लेखन को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह आयोजन करते हैं। विश्व कविता दिवस एक ऐसा अवसर है जहां पर बच्चों को स्कूल की कक्षा में कविताओं से रूबरू कराया जाता है। इस दिन विद्यार्थी अलग-अलग तरह की कविताओं को पढ़ते हैं। यह एक ऐसा मौक़ा है जहां पर कवि न केवल अपनी भाषा की भव्यता से लोगों का परिचय करवाता है बल्कि अपनी कविता की शक्ति को भी प्रदर्शित करता है। इस दिन कवि स्कूल और विश्वविद्यालय में अपने चाहने वालों को आमंत्रित करते हैं और कविता लेखन के बारे में अपने अनुभव को साझा करते हैं। विश्व में कई जगह आज ही के दिन लेखकों को उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई तरह के पुरस्कार और सम्मान दिए जाते हैं। जब से विश्व कविता दिवस अधिकृत किया गया है तब से यूनेस्को ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में कविताओं की भूमिका को सही तरह से रेखांकित किया है।

बुधवार, 15 मार्च 2017

पर्यायवाची शब्द

पर्यायवाची शब्द


जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है, उन्हें समानार्थक, समानार्थी या पर्यायवाची शब्द कहते हैं.

अग्नि – आग, अनल, पावक.
अपमान – अनादर, अवज्ञा, अवहेलना, तिरस्कार.
अलंकार – आभूषण, गहना, जेवर.
अहंकार – दंभ, अभिमान, दर्प, मद, घमंड.
अमृत – सुधा, अमिय, पीयूष, सोम.
असुर – दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर, तमचर.
अतिथि – मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक.
अनुपम – अपूर्व, अतुल्य, अनोखा, अद्भुत, अनन्य.
अर्थ – धन, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा.
अश्व – हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, बाजि, सैन्धव.
अंधकार – तम, तिमिर, अँधेरा, तमस, अंधियारा.

आम – रसाल, आम्र, सौरभ, अमृतफल.


आग – अग्नि, अनल, हुतासन, पावक, कृशानु, वहनि, शिखी, वह्नि.
आँख – लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि.
आकाश – नभ, गगन, अम्बर, व्योम, आसमान, अर्श.
आनंद – हर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रमोद, उल्लास.
आश्रम – कुटी, विहार, मठ, संघ, अखाड़ा.
आंसू – नेत्रजल, नयनजल, चक्षुजल, अश्रु.
आत्मा – जीव, चैतन्य, चेतनतत्तव, अंतःकरण.

इच्छा – अभिलाषा, चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, अभीष्ट.
इन्द्र – सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, शक्र, पुरसंग्रह  महेन्द्र, शचीपति.
इन्द्राणि – इन्द्रवधू, मधवानी, शची, शतावरी, पोलोमी.

ईश्वर – परमात्मा, प्रभु, ईश, जगदीश, भगवान, परमेश्वर, जगदीश्वर, विधाता.

उपवन – बाग़, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन.
उक्ति – कथन, वचन, सूक्ति.
उग्र – प्रचण्ड, उत्कट, तेज, तीव्र, विकट.
उचित – ठीक, मुनासिब, वाज़िब, समुचित, युक्तिसंगत, न्यायसंगत, तर्कसंगत.
उच्छृंखल – उद्दंड, अक्खड़, आवारा, निरकुंश, मनमर्जी, स्वेच्छाचारी.
उज्जड़ – अशिष्ट, असभ्य, गँवार, जंगली, देहाती, उद्दंड, निरकुंश.
उजला – उज्ज्वल, श्वेत, सफ़ेद, धवल.
उजाड़ – जंगल, बियावान, वन.
उजाला – प्रकाश, रोशनी, चाँदनी.
उत्कर्ष – समृद्धि, उन्नति, प्रगति, उठान.
उत्कृष्ट – उत्तम, उन्नत, श्रेष्ठ, अच्छा, बढ़िया, उम्दा.
उत्कोच – घूस, रिश्वत.
उत्पत्ति – उद्गम, पैदाइश, जन्म, उद्भव, सृष्टि, आविर्भाव, उदय.
उद्धार – मुक्ति, छुटकारा, निस्तार.
उपाय – युक्ति, साधन, तरकीब, तदबीर, यत्न, प्रयत्न.

ऊधम – उपद्रव, उत्पात, धूम, हुल्लड़, हुड़दंग, धमाचौकड़ी.

ऐक्य – एकत्व, एका, एकता, मेल.
ऐश्वर्य – समृद्धि, विभूति.

ओज – तेज, शक्ति, बल, वीर्य.
ओंठ- ओष्ठ, अधर, होंठ.

औचक – अचानक, यकायक, सहसा.
औरत – स्त्री, जोरू, घरनी, घरवाली.

ऋषि – मुनि, साधु, यति, संन्यासी, तत्वज्ञ, तपस्वी.

कच – बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह.
कमल- नलिन, अरविंद, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज, जलजात, शतदल, पुण्डरीक, इन्दीवर.
कबूतर – कपोत, रक्तलोचन, पारावत.
कामदेव – मदन, मनोज, अनंग, काम, रतिपति, पुष्पधन्वा, मन्मथ.
कण्ठ – ग्रीवा, गर्दन, गला.
कृपा – प्रसाद, करुणा, दया, अनुग्रह.
किताब – पोथी, ग्रन्थ, पुस्तक.
किनारा – तीर, कूल, कगार, तट.
कपड़ा – चीर, वसन, पट, वस्त्र, परिधान.
किरण – ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति.
किसान – कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता.
कृष्ण – राधापति, घनश्याम, वासुदेव, माधव, मोहन, केशव, गोविन्द, गिरधारी.
कान – कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल, श्रवण श्रोत, श्रुतिपुट.
कोयल – कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, कुहुकिनी, वनप्रिया.
क्रोध – रोष, कोप, अमर्ष, कोह, प्रतिघात.
कीर्ति – यश, प्रसिद्धि.

खग – पक्षी, विहग, नभचर, अण्डज, पखेरू.
खंभा – स्तूप, स्तम्भ, खंभ.
खल – दुर्जन, दुष्ट, घूर्त, कुटिल.
खून – रक्त, लहू, शोणित, रुधिर.

गज – हाथी, हस्ती, मतंग, कूम्भा, मदकल .
गाय – गौ, धेनु, भद्रा.
गंगा – देवनदी, मंदाकिनी, भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा, देवनदी, जाह्नवी, त्रिपथगा.
गणेश – विनायक, गजानन, गौरीनंदन, गणपति, गणनायक, शंकरसुवन, लम्बोदर, एकदन्त.
गृह – घर, सदन, भवन, धाम, निकेतन, निवास, आलय, आवास.
गर्मी – ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी.
गुरु – शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय.

घट – घड़ा, कलश, कुम्भ, निप.
घर – आलय, आवास, गृह, निकेतन, निवास, भवन, वास, वास-स्थान, शाला, सदन.
घृत – घी, अमृत, नवनीत.
घास – तृण, दूर्वा, दूब, कुश.

चरण – पद, पग, पाँव, पैर, पाद.
चतुर – विज्ञ, निपुण, नागर, पटु, कुशल, दक्ष, प्रवीण, योग्य.
चंद्रमा – चाँद, चन्द्र, शशि, रजनीश, निशानाथ, सोम, कलानिधि.
चाँदनी – चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्सना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, चन्द्रप्रभा, जुन्हाई.
चाँदी – रजत, सौध, रूपा, रूपक, रौप्य, चन्द्रहास.
चोटी – मूर्धा, सानु, शृंग.

छतरी – छत्र, छाता.
छली – छलिया, कपटी, धोखेबाज.
छवि – शोभा, सौंदर्य, कान्ति, प्रभा.
छानबीन – जाँच, पूछताछ, खोज, अन्वेषण, शोध.
छैला – सजीला, बाँका, शौकीन.
छोर – नोक, कोर, किनारा, सिरा.

जल – सलिल, वारि, नीर, तोय, अम्बु, पानी, पय, पेय.
जगत – संसार, विश्व, जग, भव, दुनिया, लोक.
जीभ – रसज्ञा, जिह्वा, वाणी, वाचा, जबान.
जंगल – कानन, वन, अरण्य, गहन, कांतार, बीहड़, विटप.
जेवर – गहना, अलंकार, भूषण.
ज्योति – आभा, छवि, द्युति, दीप्ति, प्रभा.

झूठ – असत्य, मिथ्या.

तरुवर – वृक्ष, पेड़, द्रुम, तरु, पादप.
तलवार – असि, कृपाण, करवाल, चन्द्रहास.
तालाब – सरोवर, जलाशय, पुष्कर, पोखरा.
तीर – शर, बाण, अनी, सायक.

दास – सेवक, नौकर, चाकर, अनुचर, भृत्य.
दधि – दही, गोरस, मट्ठा.
दरिद्र – निर्धन, ग़रीब, रंक, कंगाल, दीन.
दिन – दिवस, याम, दिवा, वार.
दीन – ग़रीब, दरिद्र, रंक, अकिंचन, निर्धन, कंगाल.
दीपक – दीप, दीया, प्रदीप.
दुःख – पीड़ा,कष्ट, व्यथा, वेदना, संताप, शोक, खेद, पीर.
दूध – दुग्ध, क्षीर, पय, गौरस, स्तन्य.
दुष्ट – पापी, नीच, दुर्जन, अधम, खल, पामर.
दाँत – दन्त.
दर्पण – शीशा, आरसी, आईना.
दुर्गा – चंडिका, भवानी, कल्याणी, महागौरी, कालिका, शिवा, चण्डी, चामुण्डा.
देवता – सुर, देव.
देह – काया, तन, शरीर.

धन – दौलत, संपत्ति, सम्पदा, वित्त.
धरती – धरा, धरती, वसुधा, ज़मीन, पृथ्वी, भू, भूमि, धरणी, वसुंधरा, अचला, मही, रत्नगर्भा.
धनुष – चाप, शरासन, कमान, कोदंड, धनु.

नदी – सरिता, तटिनी, सरि, सारंग, तरंगिणी, दरिया, निर्झरिणी.
नया – नूतन, नव, नवीन, नव्य.
नाव – नौका, तरणी, तरी.

पवन – वायु, हवा, समीर, वात, मारुत, अनिल.
पहाड़ – पर्वत, गिरि, अचल, शैल, भूधर, महीधर.
पक्षी – खेचर, दविज, पतंग, पंछी, खग, चिड़िया, गगनचर, पखेरू, विहंग, नभचर.
पति – स्वामी, प्राणाधार, प्राणप्रिय, प्राणेश.
पत्नी – भार्या, वधू, वामा, अर्धांगिनी, सहधर्मिणी, गृहणी, बहु, वनिता, दारा, जोरू, वामांगिनी.
पुत्र – बेटा, आत्मज, सुत, वत्स, तनुज, तनय, नंदन.
पुत्री – बेटी, आत्मजा, तनूजा, सुता, तनया.
पुष्प – फूल, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून.

फूल – पुष्प, सुमन, कुसुम, गुल, प्रसून.

बादल – मेघ, घन, जलधर, जलद, वारिद, पयोधर.
बालू – रेत, बालुका, सैकत.
बन्दर – वानर, कपि, हरि.
बिजली – घनप्रिया, इन्द्र्वज्र, चंचला, सौदामनी, चपला, दामिनी, तड़ित, विद्युत.
बगीचा – बाग़, वाटिका, उपवन, उद्यान, फुलवारी, बगिया.
बाण – सर, तीर, सायक, विशिख.
बाल – कच, केश, चिकुर, चूल.
ब्रह्मा – विधाता, स्वयंभू, प्रजापति, पितामह, चतुरानन, विरंचि, अज.
बलदेव – बलराम, बलभद्र, हलायुध, रोहिणेय.
बहुत – अनेक, अतीव, अति, बहुल, प्रचुर, अपरिमित, प्रभूत, अपार, अमित, अत्यन्त, असंख्य.
ब्राह्मण – द्विज, भूदेव, विप्र, महीदेव, भूमिसुर, भूमिदेव.

भय – भीति, डर, विभीषिका.
भाई – तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ.
भूषण – जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार.
भौंरा – मधुप, मधुकर, द्विरेप, अलि, षट्पद, भृंग, भ्रमर.

मनुष्य – आदमी, नर, मानव, मानुष, मनुज.
मदिरा – शराब, हाला, आसव, मद.
मोर – कलापी, नीलकंठ, नर्तकप्रिय.
मधु – शहद, रसा, शहद.
मृग – हिरण, सारंग, कृष्णसार.
मछली – मीन, मत्स्य, जलजीवन, शफरी, मकर.
माता – जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा.
मित्र – सखा, सहचर, साथी, दोस्त.

यम – सूर्यपुत्र, जीवितेश, कृतांत, अन्तक, दण्डधर, कीनाश, यमराज.
यमुना – कालिन्दी, सूर्यसुता, रवितनया, तरणि-तनूजा, तरणिजा, अर्कजा, भानुजा.
युवति – युवती, सुन्दरी, श्यामा, किशोरी, तरुणी, नवयौवना.

रमा – इन्दिरा, हरिप्रिया, श्री, लक्ष्मी, कमला, पद्मा, पद्मासना, समुद्रजा, श्रीभार्गवी, क्षीरोदतनया.
रात – रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, निशि, यामा, विभावरी.
राजा – नृप, नृपति, भूपति, नरपति, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति.
रात्रि – निशा, रैन, रात, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी.
रामचन्द्र – सीतापति, राघव, रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज, रघुवीर,  जानकीवल्लभ, कौशल्यानन्दन.
रावण – दशानन, लंकेश, लंकापति, दशशीश, दशकंध.
राधिका – राधा, ब्रजरानी, हरिप्रिया, वृषभानुजा.

लड़का – बालक, शिशु, सुत, किशोर, कुमार.
लड़की – बालिका, कुमारी, सुता, किशोरी, बाला, कन्या.
लक्ष्मी – कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, इंदिरा, पद्मजा, सिन्धुसुता, कमलासना.
लक्ष्मण – लखन, शेषावतार, सौमित्र, रामानुज, शेष.
लौह – अयस, लोहा, सार.
लता – बल्लरी, बल्ली, बेली.

वायु – हवा, पवन, समीर, अनिल, वात, मारुत.
वसन – अम्बर, वस्त्र, परिधान, पट, चीर.
विधवा – अनाथा, पतिहीना.
विष – ज़हर, हलाहल, गरल, कालकूट.
वृक्ष – पेड़, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम.
विष्णु – नारायण, चक्रपाणी.
विश्व – जगत, जग, भव, संसार, लोक, दुनिया.
विद्युत – चपला, चंचला, दामिनी, सौदामिनी, तड़ित, बीजुरी, घनवल्ली, क्षणप्रभा, करका.
बारिश – वर्षण, वृष्टि, वर्षा, पावस, बरसात.
वीर्य – जीवन, सार, तेज, शुक्र, बीज.
वज्र – कुलिस, पवि, अशनि, दभोलि.
विशाल – विराट, दीर्घ, वृहत, बड़ा, महान.
वृक्ष – गाछ, तरु, पेड़, द्रुम, पादप, विटप, शाखी.

शिव – भोलेनाथ, शम्भू, त्रिलोचन, महादेव, नीलकंठ, शंकर.
शरीर – देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात.
शत्रु – रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, अरि, विपक्षी.
शिक्षक – गुरु, अध्यापक, आचार्य, उपाध्याय.
शेर – केहरि, केशरी, वनराज, सिंह.
शेषनाग – अहि, नाग, भुजंग, व्याल, उरग, पन्नग, फणीश, सारंग.
शुभ्र – गौर, श्वेत, अमल, वलक्ष, शुक्ल, अवदात.
शहद – पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द.

षंड – हीजड़ा, नपुंसक, नामर्द.
षडानन – षटमुख, कार्तिकेय, षाण्मातुर.

सीता – वैदेही, जानकी, भूमिजा, जनकतनया, जनकनन्दिनी, रामप्रिया.
साँप – अहि, भुजंग, ब्याल, सर्प, नाग, विषधर, उरग, पवनासन.
सूर्य – रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, आदित्य, दिनेश, भास्कर, दिनकर, दिवाकर, भानु, आदित्य.
संसार – जग, विश्व, जगत, लोक, दुनिया.
सोना – स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन.
सिंह – केसरी, शेर, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज.
समुद्र – सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि.
सम – सर्व, समस्त, सम्पूर्ण, पूर्ण, समग्र, अखिल, निखिल.
समीप – सन्निकट, आसन्न, निकट, पास.
समूह – दल, झुंड, समुदाय, टोली, जत्था, मण्डली, वृंद, गण, पुंज, संघ, समुच्चय.
सभा – अधिवेशन, संगीति, परिषद, बैठक, महासभा.
सुन्दर – कलित, ललाम, मंजुल, रुचिर, चारु, रम्य, मनोहर, सुहावना, चित्ताकर्षक, रमणीक, कमनीय, उत्कृष्ट, उत्तम, सुरम्य.
सन्ध्या – सायंकाल, शाम, साँझ, प्रदोषकाल, गोधूलि.
स्त्री – सुन्दरी, कान्ता, कलत्र, वनिता, नारी, महिला, अबला, ललना, औरत, कामिनी, रमणी.
सुगंधि – सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू.
स्वर्ग – सुरलोक, देवलोक, दिव्यधाम, ब्रह्मधाम, द्यौ, परमधाम, त्रिदिव, दयुलोक.
स्वर्ण – सुवर्ण, कंचन, हेन, हारक, जातरूप, सोना, तामरस, हिरण्य.
सरस्वती – गिरा, शारदा, भारती, वीणापाणि, विमला, वागीश, वागेश्वरी.
सहेली – आली, सखी, सहचरी, सजनी, सैरन्ध्री.
संसार – लोक, जग, जहान, जगत, विश्व.

हस्त – हाथ, कर, पाणि, बाहु, भुजा.
हिमालय – हिमगिरी, हिमाचल, गिरिराज, पर्वतराज, नगेश.
हिरण – सुरभी, कुरग, मृग, सारंग, हिरन.
होंठ – अक्षर, ओष्ठ, ओंठ.
हनुमान – पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, रामदूत, मारुततनय, अंजनीपुत्र, आंजनेय, कपीश्वर, केशरीनंदन, बजरंगबली, मारुति.
हिमांशु – हिमकर, निशाकर, क्षपानाथ, चन्द्रमा, चन्द्र, निशिपति.
हंस – कलकंठ, मराल, सिपपक्ष,
मानसौक.
हृदय – छाती, वक्ष, वक्षस्थल, हिय, उर.
हाथ – हस्त, कर, पाणि.
हाथी – हस्ती, कुंजर, कूम्भा, मतंग, वारण, गज, द्विप, करी,    हिन्दी संग्रह

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