-
शाला प्रवेशोत्सव स्लोगन 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 १. कोई न छूटे इस बार, शिक्षा है सबकाअधिकार' ‘ 🎀 २. 'हिन्दु-मुस्लिम, सि...
-
चंदा के गाॅव मे बादलो की छाॅव मे रौकेट मे बैठ कर हम सैर करने जाएगे हम सैर करके आएगे बाया पैर बाहर निकालो धीरे धीरे इसे घुमाओ और घुमाओ ,खुद ...
-
ऑनलाइन हिन्दी साहित्यिक पत्रिकाएं (Online Hindi Literature Magazines) Aha Zindagi अहा जिंदगी, मासिक अर्गला मासिक पत्रिका (Argalaa Maga...
गुरुवार, 31 मार्च 2016
सोमवार, 21 मार्च 2016
E
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
Behtar se behtar ki talash karo
Mil jaye nadi to samandar ki talash karo
Tut jata he sheesha patthar ki chot se
Tut jaye patthar aesa sheesha talash karo
D
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन
ये फैले हुए उनके पर बोलते है
और वही लोग रहते है खामोश अक्सर
ज़माने में जिनके हुनर बोलते है
Parindo ko milegi manzil ek din
Ye faile hue unke par bolte hai
Aur wahi log rehte hai khamosh aksar
Zamane me jinke hunar bolte hai
C
तू रख हौसला वो मंजर भी आएगा
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा
थक हार के ना रुकना ऐ मंजिल के मुसाफिर
मंज़िल भी मिलेगी मिलने का मज़ा भी आएगा
Tu rakh hausala wo manjar bhi aayega
Pyase ke pas chalkar samandar bhi aayega
Thak haar ke na rukna ae manjil ke musafir
Manzil bhi milegi milne ka maja bhi aayega
B
परेशानियों से भागना आसान होता है
हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है
हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में
और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहाँ होता है
Pareshaniyon se bhaagna aasaan hota hai
Har mushqil zindagi me ek imtihaan hota hai
Himmat haarne waale ko kuch nahi milta Zindagi me
Aur mushqil se ladne wale ke kadmon me hi to jahan hota hai
ईर्ष्या का बोझ
एक बार एक गुरु ने अपने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बड़े-बड़े आलू साथ लेकर आएं।
उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए, जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं।
जो शिष्य जितने व्यक्तियों से ईर्ष्या करता है, वह उतने आलू लेकर आए।
अगले दिन सभी शिष्य आलू लेकर आए। किसी के पास चार आलू थे तो किसी के पास छह।
गुरु ने कहा कि अगले सात दिनों तक ये आलू वे अपने साथ रखें। जहां भी जाएं, खाते-पीते, सोते-जागते, ये आलू सदैव साथ रहने चाहिए।
शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन वे क्या करते, गुरु का आदेश था।
दो-चार दिनों के बाद ही शिष्य आलुओं की बदबू से परेशान हो गए। जैसे-तैसे उन्होंने सात दिन बिताए और गुरु के पास पहुंचे।
गुरु ने कहा, ‘यह सब मैंने आपको शिक्षा देने के लिए किया था।
जब मात्र सात दिनों में आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या करते हैं, उनका कितना बोझ आपके मन पर रहता होगा।
यह ईर्ष्या आपके मन पर अनावश्यक बोझ डालती है, जिसके कारण आपके मन में भी बदबू भर जाती है,
ठीक इन आलूओं की तरह।
इसलिए अपने मन से गलत भावनाओं को निकाल दो,
यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत तो मत करो।
इससे आपका मन स्वच्छ और हल्का रहेगा।
यह सुनकर सभी शिष्यों ने आलुओं के साथ-साथ अपने मन से ईर्ष्या को भी निकाल फेंका !?ॐ
शनिवार, 19 मार्च 2016
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
SOME USEFUL WEBSITES ONLINE EDUCATIONAL SUPPORT
👌SOME USEFUL WEBSITES ONLINE EDUCATIONAL SUPPORT_* www.khanacademy.org www.academicearths.org www.coursera.com www.edx.org www.ope...