सोमवार, 21 मार्च 2016

E

बेहतर से बेहतर कि तलाश करो मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो Behtar se behtar ki talash karo Mil jaye nadi to samandar ki talash karo Tut jata he sheesha patthar ki chot se Tut jaye patthar aesa sheesha talash karo

D

परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन ये फैले हुए उनके पर बोलते है और वही लोग रहते है खामोश अक्सर ज़माने में जिनके हुनर बोलते है Parindo ko milegi manzil ek din Ye faile hue unke par bolte hai Aur wahi log rehte hai khamosh aksar Zamane me jinke hunar bolte hai

C

तू रख हौसला वो मंजर भी आएगा प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा थक हार के ना रुकना ऐ मंजिल के मुसाफिर मंज़िल भी मिलेगी मिलने का मज़ा भी आएगा Tu rakh hausala wo manjar bhi aayega Pyase ke pas chalkar samandar bhi aayega Thak haar ke na rukna ae manjil ke musafir Manzil bhi milegi milne ka maja bhi aayega

B

परेशानियों से भागना आसान होता है हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहाँ होता है Pareshaniyon se bhaagna aasaan hota hai Har mushqil zindagi me ek imtihaan hota hai Himmat haarne waale ko kuch nahi milta Zindagi me Aur mushqil se ladne wale ke kadmon me hi to jahan hota hai

ईर्ष्या का बोझ

एक बार एक गुरु ने अपने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बड़े-बड़े आलू साथ लेकर आएं। उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए, जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं। जो शिष्य जितने व्यक्तियों से ईर्ष्या करता है, वह उतने आलू लेकर आए। अगले दिन सभी शिष्य आलू लेकर आए। किसी के पास चार आलू थे तो किसी के पास छह। गुरु ने कहा कि अगले सात दिनों तक ये आलू वे अपने साथ रखें। जहां भी जाएं, खाते-पीते, सोते-जागते, ये आलू सदैव साथ रहने चाहिए। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन वे क्या करते, गुरु का आदेश था। दो-चार दिनों के बाद ही शिष्य आलुओं की बदबू से परेशान हो गए। जैसे-तैसे उन्होंने सात दिन बिताए और गुरु के पास पहुंचे। गुरु ने कहा, ‘यह सब मैंने आपको शिक्षा देने के लिए किया था। जब मात्र सात दिनों में आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या करते हैं, उनका कितना बोझ आपके मन पर रहता होगा। यह ईर्ष्या आपके मन पर अनावश्यक बोझ डालती है, जिसके कारण आपके मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक इन आलूओं की तरह। इसलिए अपने मन से गलत भावनाओं को निकाल दो, यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत तो मत करो। इससे आपका मन स्वच्छ और हल्का रहेगा। यह सुनकर सभी शिष्यों ने आलुओं के साथ-साथ अपने मन से ईर्ष्या को भी निकाल फेंका !?ॐ

शैक्षिक गतिविधियां

Best Counting Activitie by A.P.Mahipal NPS. KESARA: https://youtu.be/ej0rAeyGmLM

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